बांग्लादेश में 16 साल से अपने परिवार के साथ रह रहीं एक भारतीय प्रवासी मीरा मेनन का कहना है कि केरल में उनकी मां सुरक्षा चिंताओं के कारण लगातार उनसे देश छोड़ने का आग्रह कर रही हैं, लेकिन उनकी छोटी बेटी को ‘ढाका घर जैसा लगता है’ और इससे अलग होना आसान नहीं है। जुलाई में बड़े पैमाने पर आरक्षण विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में भारतीयों ने हिंसाग्रस्त देश को छोड़ दिया है। यह प्रदर्शन शेख हसीना सरकार के खिलाफ एक अभूतपूर्व प्रतिरोध में बदल गया, जिसके कारण उन्हें पांच अगस्त को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। केरल के त्रिशूर जिले की मूल निवासी 45 वर्षीय मेनन अपने पति, (जो यहां एक कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में काम करते हैं) और 14 वर्षीय बेटी अवंतिका के साथ ढाका में रहती हैं।
केरल में छुट्टी मनाकर ढाका लौटा परिवार के सामने असमंजस की स्थिति
मेनन ने कहा, हम छुट्टी मनाने के लिए केरल में थे और चार अगस्त को वापस ढाका लौटे थे। यह कर्फ्यू वाला दिन था, लेकिन हमें नहीं पता था कि स्थिति एक दिन में इतनी नाटकीय रूप से बदल जाएगी। जिस क्षेत्र में हम रहते हैं, वह विरोध प्रदर्शन के दौरान अछूता रहा था। लेकिन रात में सुरक्षाकर्मी गश्त करते हैं और सीटी आदि की आवाज आती है। मेरी नींद भी प्रभावित हुई है।
ढाका में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आए भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं और मेनन (एक गृहिणी) ढाका मलयाली एसोसिएशन (डीएमए) की वर्तमान अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, हर साल हम यहां अपने त्योहार मनाते हैं। हमने 27 सितंबर को ओणम मनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी प्रतिकूल स्थिति के कारण हमने ‘बोट क्लब’ में अपना आरक्षण पहले ही रद्द करा दिया है। मेनन ने कहा कि कई सदस्य केरल या भारत के अन्य हिस्सों के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग छोटे-छोटे अवकाश ले रहे हैं और कुछ लोग असमंजस में हैं और सोच रहे हैं कि वापस आना है या नहीं।
उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ ने अपने परिवारों को फिर से भारत में ही रखने का फैसला किया है। त्रिशूर की मूल निवासी मेनन अपनी शादी के बाद 2008 के अंत में पहली बार बांग्लादेश आई थीं। मेनन ने कहा, जो लोग यहां ढाका में हैं या जो भारत में हैं, वे पूरी तरह से असमंजस या दुविधा में हैं कि उन्हें यहां रहना चाहिए या वापस जाना चाहिए या किसी और जगह स्थानांतरित हो जाना चाहिए। अनिश्चितता की भावना है। केरल में मेरी मां हालचाल लेने के लिए हर दिन मुझे फोन करती हैं और हमें भारत वापस आने के लिए कहती हैं। (एजेंसी इनपुट)