अमेरिका का रक्षामंत्री बनने के बाद दो साल से भी कम समय में एश्टन कार्टर ने भारत और अमेरिका के रक्षा सहयोग को मजबूती और विस्तार देने के लिए भारत की रिकॉर्ड तीन यात्राएं की हैं और अपने भारतीय समकक्ष मनोहर पर्रिकर के साथ अभूतपूर्व सात बैठकें की हैं। रक्षामंत्री के रूप में कार्टर द्वारा उनकी अंतिम भारत यात्रा पूरी करने पर पेंटागन ने गुरुवार (8 दिसंबर) को एक फैक्टशीट जारी की, जिसमें कहा गया है कि पेंटागन में कई साल तक विभिन्न पदों पर रह चुके कार्टर ने भारत के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को ‘मजबूती और विस्तार देने के प्रयासों की अगुवाई’ की। पेंटागन ने कहा कि उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप अमेरिका और भारत के बीच उनके रक्षा संस्थानों को लेकर आपसी समझ बढ़ी है, दोनों देश नए क्षेत्रों में नजरियों का आदान-प्रदान कर रहे हैं और नीतिगत रूख पर समन्वय कर रहे हैं। वे दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध को मजबूत कर रहे हैं, संयुक्त रूप से अहम तकनीकी परियोजनाएं शुरू कर रहे हैं और द्विपक्षीय रक्षा व्यापार को अभूतपूर्व स्तर पर ले जा रहे हैं। पेंटागन ने कहा, ‘एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र को लेकर अपने साझा विजन को मूर्त रूप देने के लिए आज अमेरिका और भारत पहले की तुलना में कहीं अधिक करीब हैं।’

हाल के वर्षों में, अमेरिका और भारत का आपस में इस कदर जुड़ाव रहा है कि कार्टर ने इसे दो देशों के बीच ‘रणनीतिक रूप से हाथ मिलाने’ की संज्ञा दी है। इसमें एशिया-प्रशांत में पुनर्संतुलन की अमेरिकी नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का सम्मिलन है। पेंटागन ने कहा कि रणनीतिक रूप से हाथ मिलाने के इस क्रम में ‘अमेरिका द्वारा भारत को एक ‘बड़े रक्षा सहयोगी’ का दर्जा दिए जाने पर आज मुहर लगाना शामिल है।’ अमेरिकी कांग्रेस ने गुरुवार को इस संदर्भ में एक विधेयक पारित किया है, जैसा कि राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम 2017 में शामिल है। दोनों देशों ने अप्रैल 2016 में एक नई द्विपक्षीय नौवहन सुरक्षा वार्ता शुरू की थी। राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2015 में एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर के लिए एक साझा रणनीतिक विजन जारी किया था। अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर और भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जून 2015 में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध के मसविदे पर हस्ताक्षर किए थे। कार्टर ऐसे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री बने, जिन्होंने विशाखापत्तनम स्थित भारतीय पूर्वी नौसैन्य कमान का दिसंबर 2015 में दौरा किया। वार्षिक नौसैन्य अभ्यास मालाबार को विस्तार देते हुए जापान को इसमें एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया और भारत ने वर्ष 2014 और 2016 में द्विवार्षिक ‘रिम ऑफ द पैसिफिक’ अभ्यास में भागीदारी की।