पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने बृहस्पतिवार को आर्मी एक्ट में संशोधन किया और इससे सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस नियुक्त करने का रास्ता साफ हो गया। इससे पहले राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने बृहस्पतिवार को ही विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी। लेकिन इसका अदालत के गलियारों में जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है।

संविधान में संशोधन के विरोध में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जजों- जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अतहर मिनल्लाह ने इस्तीफा दे दिया। उनका आरोप है कि यह संशोधन संविधान को कमजोर करता है और अदालत की आजादी से समझौता करता है।

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सैन्य कानून में बदलावों का उद्देश्य सशस्त्र बल कानूनों को नए संविधान संशोधन के मुताबिक बनाना है।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक को दी मंजूरी

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा सेना एक्ट में संशोधन विधेयक पेश करने के बाद नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि ये बदलाव नए कानून नहीं हैं, बल्कि मौजूदा कानूनों में संशोधन हैं।

पांच साल का होगा सीडीएफ का कार्यकाल

कानून मंत्री ने कहा, ‘‘आर्मी एक्ट में बदलाव यह है कि वर्तमान सेनाध्यक्ष, एक साथ ही ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स’ (सीडीएफ) भी होंगे।’’ तरार ने कहा कि सीडीएफ का कार्यकाल उनकी नियुक्ति की तारीख से पांच साल का होगा। मंत्री ने कहा कि नौसेना और वायु सेना एक्ट से कुछ प्रावधान हटा दिए गए हैं, जबकि कुछ शामिल किए गए हैं।

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मुनीर को किया गया था प्रमोट

जनरल आसिम मुनीर को भारत के साथ इस साल हुए संघर्ष के कुछ ही दिनों बाद फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया था। पाकिस्तान के इतिहास में फील्ड मार्शल बनने वाले दूसरे सैन्य अफसर हैं। उनसे पहले 1960 के दशक में फील्ड मार्शल अयूब खान को यह पद मिला था। मुनीर को 2024 में तीन साल के लिए आर्मी चीफ नियुक्त किया गया था।

उधर, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अतहर मिनल्लाह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

संशोधित कानून के तहत, संविधान से संबंधित मामलों से निपटने के लिए एक संघीय संवैधानिक कोर्ट की स्थापना की जाएगी जबकि मौजूदा सुप्रीम कोर्ट केवल दीवानी और आपराधिक मामलों में ही सुनवाई करेगा।

पाकिस्तान के संविधान पर गंभीर हमला- जस्टिस शाह

जस्टिस शाह ने अपने पत्र में इस संशोधन को पाकिस्तान के संविधान पर गंभीर हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोर्ट को कार्यपालिका के नियंत्रण में रखता है और हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के मूल पर प्रहार करता है। दूसरे जस्टिस मिनल्लाह ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि उन्होंने संविधान की रक्षा करने की शपथ ली है। मिनल्लाह ने कहा कि उन्होंने जिस संविधान की रक्षा की शपथ ली थी, वह अब नहीं रहा।

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