अमेरिकी राज्य साउथ कैरलिना (South Carolina) में एक कैदी को घातक इंजेक्शन लगाकर मौत की सजा दी गई। राज्य में 13 साल बाद मौत की सजा की तामील की गई है। साउथ कैरलिना में कैदी फ्रेडी ओवेन्स (Freddie Owens) को शुक्रवार को घातक इंजेक्शन (Lethal Injection) लगाकर मौत की सजा दी गई।
राज्य में 13 वर्ष बाद मौत की सजा की तामील इसलिए की गई है क्योंकि जेल के अधिकारियों के पास प्राणघातक इंजेक्शन के लिए आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं थी। अपराधी ओवेन्स को शुक्रवार शाम 6.55 बजे मृत घोषित कर दिया गया। ओवेन्स को 1997 में ग्रीनविले में एक स्टोर में डकैती के दौरान एक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया था। जेल में बंद रहने के दौरान ओवेन्स ने काउंटी जेल में एक कैदी की भी हत्या कर दी। इस मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई।
ओवेन्स की अपीलों को बार-बार खारिज कर दिया गया। ओवेन्स ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से फांसी पर रोक लगाने के लिए भी याचिका दायर की थी। जिसके बाद दक्षिण कैरोलिना के गवर्नर ने तुरंत जवाब दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय को ओवेन्स की याचिका खारिज कर देनी चाहिए, उनके मामले में कुछ भी असाधारण नहीं है।
उच्च न्यायालय ने फांसी के निर्धारित प्रारंभ समय के तुरंत बाद अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। रिपब्लिकन साउथ कैरोलिना गवर्नर हेनरी मैकमास्टर ने भी ओवेन्स की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
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कोई भी कंपनी घातक इंजेक्शन तैयार करने के लिए जरूरी दवाओं को बेचने के लिए तैयार नहीं थी
साउथ कैरलिना के ‘सुप्रीम कोर्ट’ ने हर पांच सप्ताह में सजा की तामील किए जाने का रास्ता साफ कर दिया है। कोई भी कंपनी घातक इंजेक्शन तैयार करने के लिए जरूरी दवाओं को सार्वजनिक रूप से बेचने के लिए तैयार नहीं थी। जिसके बाद साउथ कैरलिना ने घातक इंजेक्शन बनाने के लिए जरूरी दवाओं की आपूर्ति नहीं होने पर मृत्युदंड के लिए शुरुआत में ‘फायरिंग स्क्वाड’ प्रक्रिया प्रांरभ करने की भी कोशिश की।
दक्षिण कैरोलिना कानून मृत्युदंड की सजा प्राप्त कैदियों को घातक इंजेक्शन, फायरिंग स्क्वाड या इलेक्ट्रिक कुर्सी चुनने की अनुमति देता है। ओवेन्स ने अपने वकील को यह चुनने की अनुमति दी कि उनकी मृत्यु कैसे हो। ओवेन्स ने कहा कि उनकी धार्मिक मान्यताएं आत्महत्या की निंदा करती हैं।
बनाना पड़ा मृत्युदंड से जुड़ा नया कानून
हालांकि, राज्य को दवा आपूर्तिकर्ताओं और मृत्युदंड से जुड़े प्रोटोकाल को गोपनीय रखने के लिए एक कानून पारित करना पड़ा। राज्य ने मौत की सजा की तामील के लिए तीन दवा की प्रक्रिया को छोड़कर केवल एक दवा के इस्तेमाल का नया प्रोटोकॉल अपनाया है।
(इनपुट- एपी)