अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन ने अपने J-35 विमानों के पक्ष में और फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री में रुकावट डालने के लिए दुष्प्रचार अभियान शुरू किया। पहलगाम आतंकी हमले के चलते भारत-पाकिस्तान सीमा पर संघर्ष हुआ। जिसके बाद, चीन ने फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री में बाधा डालने के लिए एक गलत सूचना अभियान शुरू किया ताकि उसके J-35 विमानों के पक्ष में माहौल बन सके। इसके तहत चीन के हथियारों द्वारा नष्ट किए गए विमानों के कथित मलबे की AI इमेज को शेयर करने के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल किया गया। यह दावे बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई लेटेस्ट यूएस-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में किए गए हैं।

आयोग की अध्यक्ष रेवा प्राइस के शुरुआती बयान में कहा गया है, “राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि वे दुनिया को चीन पर और अधिक निर्भर बनाना चाहते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 7-10 मई की सैन्य शत्रुता में चीन की भूमिका के बारे में, रिपोर्ट कहती है कि इस झड़प ने “दुनिया भर का ध्यान खींचा क्योंकि पाकिस्तान की सेना चीनी हथियारों पर निर्भर थी और कथित तौर पर चीनी खुफिया जानकारी का लाभ उठा रही थी।”

अमेरिका के चीन पर आरोप

भारतीय सेना ने दावा किया था कि चीन ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सैन्य ठिकानों पर लाइव इनपुट देकर पाकिस्तान की मदद की और संघर्ष को अपनी सैन्य क्षमताओं के परीक्षण के लिए प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया। हालांकि, पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया और चीन ने इसमें अपनी संलिप्तता की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कैसे चीन ने 2025 में पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य सहयोग का विस्तार किया, जिससे भारत के साथ उसके अपने सुरक्षा तनाव और बढ़ गए। इसमें कहा गया है, “इस संघर्ष को ‘छद्म युद्ध’ कहना चीन की उकसाने वाले की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। बीजिंग ने अवसरवादी तरीके से इस संघर्ष का इस्तेमाल अपने हथियारों की अत्याधुनिकता का परीक्षण और प्रचार करने के लिए किया।”