अफगानिस्तान में अपना कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने गजनी प्रांत के गेट को तोड़ दिया। इसे जमींदोज करने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया गया। घटना से जुड़े कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आए, जिसमें मशहूर गजनी गेट भरभरा कर गिरता नजर आया। इस्लामिक महत्ता के लिहाज से अफगानिस्तान में यह अहम मॉन्यूमेंट था, जो कि पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र था।
इस बीच, अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने हिंदी चैनल आजतक से बातचीत में कहा, “तालिबान अफगानिस्तान को तालिबानिस्तान बनाना चाहता है, पर हम उसके इरादों को पूरा नहीं होने देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका सियासी मकसद तालिबान की तानाशाही खत्म करना है। हालांकि, वह यह भी बोले कि वह ऐसा कुछ नहीं करना चाहते, जिससे अफगानिस्तान की छवि या पहचान खराब हो।
उधर, मुल्क छोड़कर जा चुके राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने ‘एबीपी न्यूज’ को बताया कि उनके भाई की हत्या की जा सकती थी। वह अगर मुल्क न छोड़ते मुल्क तो उनका कत्ल कर दिया जाता। वहीं, अफगानिस्तान के दिवंगत नेशनल हीरा अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने कहा है कि वह पंजशीर प्रांत किसी के हवाले नहीं करेंगे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मसले पर कुछ हल निकलेगा, पर अगर बात नहीं बन पाई तो वह जंग के लिए भी तैयार हैं।
तालिबान को उसके कर्मों से जांचा जाएगा- UK पीएमः अफगानिस्तान संकट पर विचार विमर्श के लिए जी 7 देशों की आपात बैठक से पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि तालिबान को उसके शब्दों से नहीं बल्कि उसके कर्मों से जांचा जाएगा। ऑनलाइन आयोजित की जा रही इस बैठक की अध्यक्षता ब्रिटेन कर रहा है। ब्रिटने के प्रधानमंत्री कार्यालय ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ ने कहा कि मंगलवार को इस बैठक में जॉनसन जी 7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका के नेताओं को अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों के लिए सहयोग तथा मानवीय सहायता जारी रखने की मांग करेंगे।
31 अगस्त तक निकासी पर ध्यान केंद्रित कर रहा US: बाइडन प्रशासन ने सोमवार को कहा कि वह अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के अभियान को 31 अगस्त तक पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। व्हाइट हाउस, विदेश मंत्रालय और पेंटागन के अधिकारियों के अनुसार, काबुल हवाई अड्डे से लोगों को निकालने के अभियान को विस्तार देने पर अंतिम निर्णय राष्ट्रपति जो बाइडन को लेना है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने व्हाइट हाउस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह प्रक्रिया किस प्रकार आगे बढ़ेगी, इस पर अंतिम निर्णय सिवाय राष्ट्रपति के और कोई नहीं ले सकता।”
तालिबान द्वारा तय की गई 31 अगस्त की समयसीमा पर पूछे गए सवाल के जवाब में सुलिवान ने यह कहा। काबुल हवाई अड्डे पर अभी 5,800 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं जो मुख्य रूप से अपने नागरिकों और 20 वर्ष तक अमेरिका की सहायता करने वाले अफगान नागरिकों को निकालने में लगे हैं।