कोरोना वायरस महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। रोजगार में भी बड़े पैमाने पर कमी आई है। खाड़ी देश कुवैत उन देशों में से एक जो कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित है। इसके चलते यहां रहे लाखों भारतीयों की नौकरियों पर भी संकट आ गया है। देश में ना तो नौकरियां बची हैं और ना ही प्रवासी भारतीय बचत कर पा रहे हैं। हालांकि भारतीय प्रवासियों की एक बड़ी आबादी को अभी भी उम्मीद है कि वो कुवैत में काम कर पाएंगे। भारतीय इलेक्ट्रीशियन शिभु चेमांस उनमें एक हैं, जिन्हें अभी भी आस है कि खाड़ी देश में ही कोई नौकरी मिल जाएगी। हालांकि उन्हें ये उम्मीद भी तब तक ही थी जब तक देश में प्रवासी कामगारों की भारी कटौती का प्रस्ताव नहीं आया।

शिभु चेमांस (38) कुवैत में उन भारतीय प्रवासियों में एक हैं जिन्हें कोरोना वायरस के चलते फरवरी में नौकरी से हाथ धोना पड़ा। खाड़ी देशों में करीब 44 लाख प्रवासी भारतीय नौकरी करते हैं उनमें अकेले दस लाख से अधिक कुवैत में हैं। दरअसल कोविड-19 के प्रभाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे की कीमतें बुरी तरह प्रभावित हुईं और इससे कुवैत में स्थानीय नौकरियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। ऐसे में कुवैत प्रवासियों को लेकर नया कानून बनाने पर विचार कर रहा है, इसके चलते करीब आठ लाख भारतीय को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है।

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ऐसा देश में लाए गए नए जॉब बिल की वजह से होगा, जिससे प्रवासियों की कुल संख्या में चालीस फीसदी की कटौती होगी और ये भी सुनिश्चित होगा कि कुवैत में भारतीय की संख्या 15 फीसदी से अधिक ना हो। चेमांस ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को फोन पर बताया कि मैं खाड़ी देश में आया और अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देने के लिए कड़ी मेहनत की। पहले कोरोना वायरस और अब कुवैत के नए कानून ने मेरे सपने चकनाचूर कर दिए हैं।

फरवरी में अपनी नौकरी खो देने से पहले शिभु चेमांस भारत में अपनी पत्नी और दो बच्चों के लिए 40,000 भारतीय रुपए (530 डॉलर) भेजने में सक्षम थे। उनका परिवार केरल में एक तंग घर में रहता है। केरल में उनका खुद का घर नहीं है और ऐसे राज्य में काम मिलने की संभावना भी बहुत कम है जो प्रवासियों के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक है। चेमांस को डर है कि उन्हें अपने परिवार के पास वापस लौटना पड़ेगा।

हालांकि कुवैती सरकार ने नए बिल को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। मगर वहां के प्रधानमंभी कह चुके हैं कि वह लगभग तीस लाख प्रवासियों की कटौती करना चाहते हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक कुवैत में काम करने वाले भारतीयों ने 2017 में भारत 4.6 अरब डॉलर भेजे जो उस साल भेजे गए कुल धन का 6.7 फीसदी है।