म्यांमा के उत्तर में स्थित अशांत राखिन प्रांत में सशस्त्र लोगों और सरकारी बलों के बीच झड़पों में 12 लोगों की मौत हो गई। सरकारी मीडिया ने बुधवार को बाताया कि अशांत क्षेत्र में हिंसा में तेजी आई है।  प्युंगपित मॉन्गदाव गांव में मंगलवार को पिस्तौल और तलवारें लिए हुए सैकड़ों लोगों ने सैनिकों पर हमला कर दिया, जिससे चार जवानों और एक हमलावर की मौत हो गई। इस इलाके में मुख्यत: मुसलिम रोहिंग्या लोग रहते हैं।

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सैनिकों ने पास के गांव तौंग पैंग न्यार में लड़ाई के बाद सात लोगों के मरने की जानकारी दी, जिससे मृतकों की संख्या का पहला आंकड़ा बढ़ गया। सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल न्यू लाइट आॅफ म्यांमा’ की खबर में तौंग पैंग न्यार में सैनिकों के साथ हुई झड़पों का हवाला देते हुए कहा गया है कि घटना के बाद सैनिकों को सात शव मिले। शवों के साथ तलवारें और छड़ियां बरामद की गर्इं। यह इलाका बांग्लादेश सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। तीन सीमा चौकियों पर रविवार को किए गए समन्वित हमलों में नौ पुलिस अधिकारियों के मारे जाने के बाद से ही सेना इस क्षेत्र को खंगाल रही है।

इस तनाव के कारण 2012 की घटनाओं के दोहराव की आशंका पैदा हो गई है। उस दौरान राखिने में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी और सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। तब हजारों रोहिंग्या लोगों को विस्थापन शिविरों में रहना पड़ा था। सीमा पर किए गए हमलों के छह संदिग्धों को अधिकारियों ने बंदी बना कर रखा है। अधिकारियों ने हमलावरों के बारे में कुछ जानकारी जारी की है। कुछ लोग रोहिंग्या लोगों पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि अन्य लोग बांग्लादेशी समूहों को जिम्मेदार बता रहे हैं। म्यांमा मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार विजय नांबियार ने सैनिकों और निवासियों से अपील की है कि वे देश के लिए इस नाजुक समय पर संयम बरतें।