World Thalassemia Day 2025: थैलेसीमिया आज भी भारत में बच्चों और उनके परिवारों के लिए बहुत सी शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बनता है, जहां इसके मामलों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। थैलेसीमिया बच्चों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। भारत में हर साल 10 हजार से 12 हजार बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं। ऐसे में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 8 मई को ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ (World Thalassemia Day) मनाया जाता है। न्यूबर्ग सहगल पैथ लैब, चीफ पैथोलॉजिस्ट, डॉ. कुणाल सहगल ने बताया कि थैलेसीमिया के शुरुआती लक्षणों की कैसे पहचान करनी चाहिए और बच्चों का कैसे ख्याल रखना चाहिए।
डॉ. कुणाल सहगल ने बताया कि थैलेसीमिया खून से जुड़ी एक जेनेटिक बीमारी है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के तरीके को प्रभावित करता है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं का वह हिस्सा जो ऑक्सीजन पहुंचाता है। जब शरीर पर्याप्त मात्रा में हेल्दी हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता, तो एनीमिया की समस्या हो सकती है।
थैलेसीमिया के शुरुआती लक्षण
थैलेसीमिया माता-पिता से बच्चों में जाता है। इसका मतलब है कि अगर एक या दोनों माता-पिता में यह जीन है, तो उनका बच्चा इससे प्रभावित हो सकता है। कुछ बच्चों में इसका मामूली रूप हो सकता है, जबकि अन्य में अधिक गंभीर प्रकार हो सकता है। शुरुआती पहचान महत्वपूर्ण है ताकि जल्द से जल्द इलाज शुरू किया जा सके।
पीली या पीली रंगत वाली त्वचा (पीलिया)
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे सामान्य से ज्यादा पीले दिख सकते हैं। कुछ की त्वचा या आंखों में पीलापन आ सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को बहुत तेजी से खराब कर रहा होता है।
थकान या कमजोरी
थैलेसीमिया के सबसे आम लक्षणों में से एक थकान है। रात को अच्छी नींद लेने के बाद भी बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा थके हुए लग सकते हैं। उनमें खेलने, दौड़ने या लंबे समय तक सक्रिय रहने की एनर्जी नहीं होती।
बार-बार बीमार होना
शरीर पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण तनाव में रहता है, इसलिए थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे अधिक बार बीमार पड़ सकते हैं। उनका इम्यून सिस्टम सामान्य से कमजोर हो सकता है।
पेट में सूजन या बढ़े हुए अंग
थैलेसीमिया के कारण प्लीहा (तिल्ली) एवं लिवर बड़ा हो सकता है। बच्चे का पेट सूजा हुआ लग रहा है या उसके पेट का ऊपरी बायां हिस्सा सख्त या कोमल लग रहा है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्लीहा असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं को छानने के लिए अतिरिक्त मेहनत कर रही होती है।
थैलेसीमिया से बचाव
बच्चों में थैलेसीमिया को रोकने के लिए, माता-पिता विशेष रूप से जिनके परिवार में इस स्थिति का इतिहास है। इसके लिए कई सक्रिय कदम उठा सकते हैं। थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो माता-पिता से बच्चों में जाता है, इसलिए इसकी रोकथाम जागरूकता, स्क्रीनिंग और जिम्मेदार परिवार नियोजन पर केंद्रित है।
गर्भावस्था से पहले थैलेसीमिया की जांच कराएं
बच्चे को थैलेसीमिया से बचाने के लिए इसकी जांच बहुत ही आवश्यक है। HPLC विधि या आनुवंशिक परीक्षण द्वारा वाहक परीक्षण यह निर्धारित कर सकता है कि एक या दोनों माता-पिता थैलेसीमिया जीन ले जाते हैं या नहीं। अगर, माता-पिता दोनों वाहक हैं, तो उनके बच्चे को थैलेसीमिया मेजर होने की 25% संभावना है।
जेनेटिक परामर्श लें
माता-पिता दोनों वाहक हैं, तो एक आनुवंशिक परामर्शदाता जोखिम, वंशानुक्रम पैटर्न और प्रजनन विकल्पों के बारे में बता सकता है।
प्रसवपूर्व परीक्षण पर विचार करें
गर्भावस्था पहले से चल रही है तो कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (CVS) (10-12 सप्ताह) या एमनियोसेंटेसिस (15-18 सप्ताह) का टेस्ट करवाएं। यह पता लगा सकता है कि भ्रूण में थैलेसीमिया है या नहीं।
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