आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के चलते कम उम्र में ही लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आज के समय में कम उम्र में ही लोगों की हड्डियां कमजोर होने लगी हैं, जिसके कारण उठने-बैठने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे मनाया जाता है, ताकि लोगों को रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सके। रीढ़ हमारे शरीर का सहारा है, जो हमें सीधा खड़े रहने, चलने और झुकने की क्षमता देती है, लेकिन जब इसी स्पाइन को टीबी का संक्रमण जकड़ लेता है, तो यह गंभीर स्थिति बन सकती है। इसे स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस या पॉट्स डिजीज कहा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर इसे समय पर पहचान कर इलाज न किया जाए, तो यह लकवा तक का कारण बन सकती है।

क्या है स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस

स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस तब होती है, जब ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया फेफड़ों या शरीर के किसी अन्य हिस्से से खून के जरिए रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाता है। यह संक्रमण धीरे-धीरे हड्डियों को कमजोर कर देता है, जिससे तेज दर्द, झुकाव और कभी-कभी पैरों में कमजोरी या सुन्नपन तक हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. गिरी के मुताबिक, चार प्रमुख स्थितियां हैं, जो अगर समय रहते न पहचानी जाएं, तो व्यक्ति में स्पाइनल टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है।

बिना इलाज के फेफड़ों की टीबी

ट्यूबरकुलोसिस की शुरुआत ज्यादातर फेफड़ों से होती है। अगर, पल्मोनरी टीबी का इलाज अधूरा रह जाए या दवा बीच में छोड़ दी जाए, तो संक्रमण खून के जरिए स्पाइन तक फैल सकता है। बैक्टीरिया रीढ़ की हड्डी के जोड़ को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे मूवमेंट कम हो जाती है, नसों पर दबाव बनता है और तेज पीठ दर्द या पैरों में कमजोरी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।

बार-बार होने वाले संक्रमण या क्रॉनिक बीमारियां

कई बार शरीर में लो-ग्रेड फीवर, थकान या अचानक वजन कम होना किसी छिपे हुए संक्रमण का संकेत हो सकता है। डॉ. गिरी के मुताबिक, क्रॉनिक इंफेक्शन जैसे लिंफ नोड, किडनी या पेट में मौजूद छिपे टीबी बैक्टीरिया, कमजोर इम्यूनिटी के दौरान दोबारा सक्रिय हो सकते हैं। अगर, लंबे समय से थकान, भूख की कमी या बुखार रह रहा हो, तो इसे हल्के में न लें। डॉक्टर से जांच करवाएं ताकि छिपे संक्रमण को समय पर रोका जा सके।

हड्डी या जोड़ की अनदेखी की गई टीबी

कई लोग हड्डियों या जोड़ों में लगातार दर्द को आम मानकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह शुरुआती बोन टीबी का संकेत हो सकता है। डॉ. गिरी के मुताबिक, अगर बोन टीबी का इलाज नहीं हुआ, तो वही संक्रमण रीढ़ तक फैल सकता है और स्थिति गंभीर बना सकता है। लगातार जोड़ों या पीठ में दर्द, सूजन या चलने में तकलीफ और ओवर-द-काउंटर दर्दनाशक से राहत न मिलना आदि इस समस्या का खतरा बढ़ा सकती है।

कमजोर इम्यूनिटी और खराब पोषण

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली स्पाइनल टीबी के सबसे बड़े कारणों में से एक है। शुगर के मरीज, एचआईवी/एड्स से ग्रस्त व्यक्ति और कुपोषण या प्रोटीन की कमी वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। डॉ. गिरी के मुताबिक, संतुलित आहार, पर्याप्त प्रोटीन, और विटामिन-समृद्ध भोजन इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं और टीबी जैसे संक्रमणों से बचाव करते हैं।

इसके अलावा सुबह उठते ही कुछ लक्षण दिखाई देने पर भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक हो जाती है, इन साइन को भी इग्नोर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।