आज यानी 20 अक्टूबर के दिन को दुनिया भर में विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day 2023) के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें हड्डियों की बोन मास डेंसिटी (BMD) बेहद कम हो जाती है और वे अंदर से खोखली होने लगती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित शख्स की हड्डियां कितनी कमजोर हो जाती हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चलते-फिरते भी हड्डियों में फ्रैक्चर होने लगता है। यहां तक की कई बार तो छीकनें-खांसने से भी हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में 50 वर्ष से अधिक आयु की करीब 42.5% महिलाएं और 24.6% पुरुष ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर सबसे ज्यादा फ्रैक्चर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं। वहीं, इन तीनों ही समस्याओं में व्यक्ति बिस्तर पकड़ने को मजबूर हो जाता है। साथ ही इस दौरान उसे असहनीय दर्द का सामना भी करना पड़ता है।
इसी कड़ी में पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट के जरिए खास रेसिपी शेयर की है। इस रेसिपी से तैयार खास चूर्ण की मदद से ना केवल हड्डियों के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है, बल्कि ये बेहद तेजी से बोन मास डेंसिटी को बढ़ाकर खोखली होती हड्डियों में नई जान डालने में भी आपकी आपकी मदद करेगा।
इस खास चूर्ण को बनाने के लिए आपको घी, पिसे हुए तिल के बीज, पिसे हुए कद्दू के बीज, पिसे हुए अलसी के बीज, गोंद, हल्दी और राजगिरा के आटे की जरूरत होगी। चूर्ण बनाने के लिए आपको इन तमाम चीजों को आपस में मिलाकर नियमित तौर पर इसका सेवन करना है।
कैसे है असरदार?
- पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा के मुताबिक, घी विटामिन K2 से भरपूर होता है जो विभिन्न प्रकार के प्रोटीन बनाने में मदद करता है। आपको बता दें कि ये प्रोटीन हड्डियों के निर्माण के लिए जरूरी है। साथ ही घी में कैल्शियम की मात्रा भी अधिक पाई जाती है।
- तिल के बीज भी कैल्शियम का बेहद अच्छा स्रोत हैं। इनमें डेयरी की तुलना में कहीं अधिक कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को अधिक मजबूत बनाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके साथ ही तिल के बीज में कॉपर की मात्रा भी अधिक पाई जाती है, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस, जोड़ों में असहनीय दर्द और सूजन को कम करने में असरदार है।
- कद्दू के बीज मैग्नीशियम के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है। वहीं, मैग्नीशियम भी हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। खासकर 30 की उम्र तक पहुंच चुकी महिलाओं को अपनी डाइट में अधिक से अधिक मैग्नीशियम रिच फूड को शामिल करने की सलाह दी जाती है। इस उम्र में हड्डिया अधिक कमजोर होने लगती हैं।
- अलसी के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड और विशेष रूप से अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) का एक बड़ा स्रोत हैं, जो हड्डियों के पुनर्जनन में मददगार साबित हो सकते हैं।
- गोंद प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और मैग्नीशियम से समृद्ध है, जो भी हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है।
- हल्दी में मौजूद करक्यूमिन ऑस्टियोक्लास्ट की गतिविधि को रोकने में मदद कर सकता है, जो हड्डी को तोड़ने के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं हैं। इससे हड्डियों का घनत्व अधिक हो सकता है।
- हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम जिम्मेदार होता है। वहीं, राजगिरा में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यानी ये आटा भी बोन्स को अधिक मजबूत बनाने में मददगार है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।