World Meditation Day: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव हर इंसान की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। काम का दबाव, सोशल मीडिया की तुलना, रिश्तों की उलझनें और भविष्य की चिंता – ये सभी मिलकर दिमाग पर गहरा असर डालते हैं। लगातार बना रहने वाला तनाव न सिर्फ हमारे मूड को बिगाड़ता है, बल्कि ब्लड प्रेशर, नींद, इम्यूनिटी और हार्मोनल बैलेंस तक को प्रभावित करता है। इसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए अब विज्ञान भी ध्यान की अहमियत पर जोर दे रहा है। कई शोधों में सामने आया है कि नियमित मेडिटेशन से शरीर और मस्तिष्क दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है और तनाव से जुड़ा कॉर्टिसोल हार्मोन कम होने लगता है।

विज्ञान क्या कहता है?

अब ध्यान को सिर्फ आध्यात्मिक अभ्यास नहीं माना जाता, बल्कि इसे एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हेल्थ टूल के तौर पर देखा जा रहा है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि नियमित ध्यान करने से दिमाग और शरीर दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है। खासतौर पर तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कॉर्टिसोल का लेवल कम होता है, जो मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए बेहद जरूरी है।

स्टडी में सामने आया ध्यान का असर

‘मेडिकल छात्रों के सीरम कॉर्टिसोल पर माइंडफुलनेस मेडिटेशन का प्रभाव’ नाम की एक स्टडी में 30 मेडिकल छात्रों पर चार दिनों का ध्यान कार्यक्रम कराया गया। स्टडी के नतीजे चौंकाने वाले थे। ध्यान के बाद छात्रों के शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर काफी हद तक कम हो गया। इससे साफ होता है कि ध्यान सिर्फ मन को शांत नहीं करता, बल्कि शरीर की बायोलॉजिकल स्ट्रेस प्रतिक्रिया को भी बदल देता है। यानी तनाव को जड़ से काबू करने में ध्यान मददगार है।

तनाव हार्मोन को करता है कंट्रोल

तनाव के समय शरीर ज्यादा मात्रा में कॉर्टिसोल हार्मोन बनाता है। अगर यह लंबे समय तक बढ़ा रहे, तो नींद खराब होती है, वजन बढ़ता है, इम्यूनिटी कमजोर होती है और मूड भी बिगड़ने लगता है। नियमित ध्यान से कॉर्टिसोल का लेवल घटता है और शरीर का “फाइट या फ्लाइट” मोड शांत होने लगता है।

चिंता और नकारात्मक सोच को करता है कम

माइंडफुल मेडिटेशन इंसान को वर्तमान पल में जीना सिखाता है। इससे बार-बार आने वाली चिंता, भविष्य की फिक्र और ओवरथिंकिंग कम होती है। कई शोधों में यह भी पाया गया है कि ध्यान करने से डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों में कमी आती है।

नींद और मूड में सुधार

ध्यान दिमाग के उस हिस्से को शांत करता है, जो तनाव के समय लगातार एक्टिव रहता है। यही वजह है कि ध्यान करने वाले लोगों को नींद बेहतर आती है और मूड ज्यादा स्थिर रहता है। अच्छी नींद और संतुलित मूड डिप्रेशन के खतरे को भी कम करते हैं।

ध्यान को लेकर ये बातें जानना जरूरी

ध्यान सिर्फ आराम करने का तरीका नहीं है, बल्कि यह दिमाग की प्रतिक्रिया को बदलने की प्रक्रिया है। अच्छी बात यह है कि इसके लिए घंटों बैठना जरूरी नहीं। रोज सिर्फ 10-15 मिनट का ध्यान भी असरदार हो सकता है। ध्यान तनाव को पूरी तरह खत्म नहीं करता, लेकिन उसे संभालना जरूर सिखा देता है। यह किसी बीमारी का अकेला इलाज नहीं है, लेकिन सपोर्ट टूल के रूप में बेहद प्रभावी है।

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अगर आप ध्यान की शुरुआत करना चाहते हैं, तो इसे बहुत जटिल न बनाएं। रोज सुबह या रात को सोने से पहले 10-15 मिनट का समय तय करें। एक शांत जगह चुनें, आंखें बंद करें और अपनी सांसों पर ध्यान लगाएं। अगर दिमाग भटके तो खुद को दोष न दें, यह स्वाभाविक है। बस धीरे-धीरे ध्यान वापस सांसों पर ले आएं।

निष्कर्ष

योग तनाव को कंट्रोल करता है, कॉर्टिसोल जैसे हानिकारक हार्मोन को घटाता है और मानसिक मजबूती बढ़ाता है। अगर आप भी तेज रफ्तार जिंदगी में खुद को थका और तनावग्रस्त महसूस करते हैं, तो ध्यान को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना एक छोटा लेकिन बेहद असरदार कदम हो सकता है।

डिस्क्लेमर

यह स्टोरी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार की गई है। किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या डाइट में परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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