हेपेटाइटिस (Hepatitis) एक ऐसी बीमारी है, जो हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक लिवर को प्रभावित करती है। ये वायरल इंफेक्शन के कारण होती है। वहीं, परेशानी की बात यह है कि दुनिया भर में अनुमानित 354 मिलियन से अधिक लोग हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित हैं, साथ ही अगर इस बीमारी पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर ये लिवर फेलियर, सिरोसिस और कैंसर जैसी गंभीर स्थिति भी पैदा कर सकती है। इसी कड़ी में इस गंभीर बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 28 जुलाई के दिन को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day) के रूप में मनाया जाता है।
हेपेटाइटिस क्या है?
मामले को लेकर धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डॉ. महेश गुप्ता बताते हैं, ‘हेपेटाइटिस लिवर की सूजन को कहते हैं।’
डॉ. गुप्ता के मुताबिक, ‘लिवर हमारे शरीर के लिए जरूरी 500 से अधिक कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हेपेटाइटिस की चपेट में आने पर ये काम प्रभावित होने लगते हैं। वहीं, अगर इस स्थिति पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो ये फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी में तब्दील हो जाती है। ऐसे में हेपेटाइटिस से बचाव के लिए शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।’
ये लक्षण नजर आते ही करा लें जांच
डॉ. गुप्ता आगे बताते हैं, ‘शारीरिक कमजोरी, थकान अधिक महसूस होना, भूख न लगना, पीलिया, यूरिन का रंग बदलना, पेट में दर्द, सूजन और समय-समय पर हल्का बुखार हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षणों में से एक हैं। ऐसे में अगर आपको इस तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।’
कितने प्रकार का होता है हेपेटाइटिस?
इस सवाल को लेकर श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी, डॉ. सावन बोपन्ना बताते हैं, ‘हेपेटाइटिस की बीमारी अधिकतर वायरल इंफेक्शन की वजह से होती है। वहीं, इस वायरस के 5 स्ट्रेन होते हैं, जिनका नाम ए से लेकर ई तक है। वहीं, इनमें सबसे खतरनाक हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी को माना जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित रक्त के संपर्क से फैलता है और इससे पीड़ित मरीज के लिवर में ट्यूमर भी बना सकता है। जबकि हेपेटाइटिस ए और ई कुछ ही समय में ठीक हो जाते हैं। ये स्ट्रेन पानी और खाने के माध्यम से फैलते हैं। इन सब से अलग शराब का अत्याधिक सेवन, नशीली दवाएं लेने या ऑटोइम्यून रोग भी हेपेटाइटिस होने का कारण बन सकते हैं।’
कैसे करें हेपेटाइटिस से बचाव?
नारायणा हॉस्पिटल, कोलकाता में कंसल्टेंट- गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट, डॉ. विवेक मोहन शर्मा के मुताबिक, लिवर से जुड़ी इस गंभीर बीमारी से खुद को बचाने के लिए अपने आसपास साफ-सफाई रखना और खानपान पर ध्यान देना सबसे अधिक जरूरी है। ऐसे में खासकर बाहर के अनहेल्दी खाने से परहेज करें, अत्यधिक तले भुने और प्रोसेस्ड खाने से भी दूरी बनाएं साथ ही शराब के अत्यधिक सेवन से भी बचें।’
इससे अलग हेपेटाइटिस से सुरक्षा के लिए डॉ. मोहन टीकाकरण को बहुत अधिक जरूरी बताते हैं। खासकर छोटे बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं। हेपेटाइटिस के लक्षणों पर ध्यान दें और इसमें जरा भी लापरवाही ना करें जैसे ही आपको इसके लक्षण महसूस हों या किसी परिचित व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण प्रतीत हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।’
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
