प्लासटिक हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है, इस बात से हर कोई वाक़िफ़ भी है। यही वजह है कि आज लोग सीधे तौर पर प्लास्टिक के उपयोग से बचते हैं। प्लासटिक से होने वाले नुकसान से बचने के लिए लोग अब कपड़े या जूट की थैलियों में फल-सब्जी लाना पसंद करते हैं। इसके अलावा मानव स्वास्थय और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कई जगहों पर प्लास्टिक की थैलियों पर बैन भी लगा दिया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तमाम कोशिशों के बाद भी प्लासटिक कई तरह से आपको नुकसान पहुंचा रही है? कई अध्ययनों में इस बात का दावा किया गया है कि हम हर दिन जाने-अनजाने में कई ऐसे माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर रहे हैं, जिसके चलते पेट में इंफेक्शन, इनफर्टिलिटी यहां तक की कैंसर जैसी तमाम गंभीर बीमारियां हमें अपनी चपेट में ले सकती हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

क्या है माइक्रोप्लास्टिक?

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) के अनुसार, प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जिनका आकार पांच मिलीमीटर से कम होता है, उन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। यानी इनका साइज एक तिल के बीज के बराबर या उससे भी छोटा होता है। ये हमारे दैनिक जीवन के उत्पादों के जरिए ही पर्यावरण में आते हैं। आकार में छोटे होने के चलते माइक्रोप्लास्टिक्स हवा के द्वारा भी हमारे अंदर प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा खाने-पीने की कई ऐसी चीजें हैं जिनमें अच्छी मात्रा में इस तरह के कण पाए जाते हैं। एक बार हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद ये कण हमें कई तरह से नुकसान पहुंते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शरीर में अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो जाने के बाद एलर्जी से लेकर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, फेफड़े और लीवर की बीमारियां, थाइराइड, कैंसर यहां तक की मौत तक का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों से बचने के लिए आपको अपने आहार और रोजमर्रा के जीवन में माइक्रोप्लास्टिक के इस्तेमाल को कम या खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए आप कुछ आसान लेकिन जरूरी टिप्स अपना सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक से कैसे करें खुद का बचाव?

पैकेट बंद सामान से बनाएं दूरी:

अधिकतर लोग आज खाने के लिए पैकेट बंद सामान पर ज्यादा भरोसा करते हैं। हालांकि, वे इस बात से अनजान रह जाते हैं कि अलग-अलग तापमान और स्टोरेज के कारण इन सामानों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक रिएक्शन कर रसायन बना सकते है, जो किसी के लिए भी जहर का काम करते हैं। वहीं, खुला खाना भी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप बाजार से मंगवाने की जगह घर पर ताजा खाना बनाएं। इस तरह आप कई बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।

प्लास्टिक बोतल है खतरनाक:

कहीं ट्रेवल करते समय अधिकतर लोग प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी को खरीदकर पीते हैं या कई लोग घर पर भी पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, तो बता दें कि ऐसा करना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। बाजार में मिलने वालीं प्लास्टिक की बोतलों में पानी को लंबे समय तक रखा जाता है। वहीं, इससे पहले ये बोतलें अलग-अलग तापमान को झेलकर तैयार की जाती हैं। इसके चलते पानी में रसायन या माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ सकती है जो आपकी सेहत पर सीधा असर डालता है। ऐसे में जरूरी है कि प्लास्टिक के बैग के साथ-साथ आप इन बोतलों से भी दूरी बना लें।

नमक भी बन सकता है बीमारी का कारण:

नमक हमारे खाने का सबसे जरूरी हिस्सा है जो समुद्र से आता है। वहीं, समुद्र में सबसे अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाता है। आकार में छोटे होने के कारण माइक्रोप्लास्टिक समुद्र में आसानी से बह पाते हैं और अधिर मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि आज नमक के अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर समेत कई अन्य बीमारियां हमें जल्द ही अपनी चपेट में ले लेती हैं। इस तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए आप आम नमक से अलग लो सोडियम या सेंधा नमक को अधिक इस्तेमाल में ले सकते हैं। सादे नमक की तुलना में लो सोडियम या सेंधा नमक में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा कम पाई जाती है।

कोल्ड ड्रिंक कैन से बनाएं दूरी:

पानी की बोतल की तरह ही कोल्ड ड्रिंक कैन का इस्तेमाल भी आज आम हो गया है। हालांकि, यह भी आपके लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह की कैन बीपीए प्लास्टिक से बने होते है, जिसमें कई तरह के माइक्रोप्लास्टिक हो सकते है।

टी बैग का इस्तेमाल भी नहीं है सही:

आजकल लोग समय बचाने के लिए टी बैग्स से बनी चाय का सेवन करना ज्यादा पसंद करते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, तो बता दें कि टी बैग्स को पॉलीप्रोपाइलीन की मदद से बनाया जाता है जिसे गर्म पानी में डालने पर यह रिएक्शन कर आपकी चाय में माइक्रोप्लास्टिक को मिलाने का काम करता है। ऐसे में जरूरी है कि आप टी बैग्स से अलग चायपत्ती का इस्तेमाल करें। कुछ इस तरह आपनी लाइफस्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव कर आप माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।