Women’s Day 2024: उम्र बढ़ने के साथ-साथ पुरुषों ही नहीं महिलाओं के शरीर में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं। जहां एक समय आपका शरीर काफी एनर्जेटिक और दुरुस्त रहता था। लेकिन वहीं  उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसमें बदलाव देखने को मिलते हैं। इन बदलाव में सबसे ज्यादा तनाव और हार्मोन में होता है जिसे अधिकतर महिलाएं अनदेखा कर देती है। महिलाओं के लिए ये स्थिति तब और ज्यादा बदतर हो जाती है जब पेरिमेनोपॉज की शुरुआत होती है। इस समय आपका शरीर बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। ऐसी कई बीमारियां होती है जो 40 साल की उम्र के बाद अधिक होती है। आइए विश्व महिला दिवस के मौके पर न्यूबर्ग अजय शाह प्रयोगशाला के प्रबंध निदेशक डॉ. अजय शाह से जानते हैं ऐसे 7 टेस्ट के बारे में जिन्हें हर महिला को 40 के बाद अवश्य कराना चाहिए।

 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना बहुत आवश्यक हो जाता है। जिससे आप समय रहते होने वाले रोगों के बारे में सतर्क रहें और हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेकर उस बीमारी को खत्म या फिर कंट्रोल कर सकती हैं। आइए जानते हैं 40 साल की उम्र के बाद हर महिला को कौन से टेस्ट अवश्य करना चाहिए।

मैमोग्राम (Monogram Test)

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा आयु बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है, जिससे 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए नियमित मैमोग्राम करवाना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह इमेजिंग परीक्षण ब्रेस्ट के ऊतकों में असामान्यताओं का पता लगा सकता है, जिससे शीघ्र हस्तक्षेप कार्रवाई की जा सकती और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट कहते हैं किहर एक महिला को एक से दो वर्ष में मैमोग्राम का टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए।

पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट (Pap test And HPV Test)

पैप स्मीयर और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) परीक्षणों से गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) के कैंसर की जांच 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए आवश्यक है। हालांकि कम जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए मेनोपॉज के बाद बार-बार पैप स्मीयर परीक्षण करवाना कम हो सकता है, फिर भी एचपीवी टेस्ट करवाना आवश्यक है। ये टेस्ट कैंसर से पहले आने वाले परिवर्तनों या सर्वाइकल कैंसर के प्रारंभिक चरण का पता लगा सकते हैं। ऐसे में समय रहते इस टेस्ट को कराने से आप आसानी से इलाज कर सकती हैं।

अस्थि घनत्व (Bone Density) परीक्षण (डेक्सा स्कैन) (Dexa Scan)

ऑस्टियोपोरोसिस जो हड्डियों को कमजोर करने वाला एक रोग है। यह समस्या आयु बढ़ने के साथ काफी अधिक हो जाती है। विशेषकर मोनोपॉज महिलाओं में। बता दें कि डेक्सा स्कैन हड्डियों के घनत्व को मापता है और फ्रैक्चर के जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। रोग का शीघ्र पता लगने से फ्रैक्चर को रोकने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव करने के साथ डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Blood Pressure And Lipid Profile Test)

 मोनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। हृदय के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए नियमित ब्लड प्रेशर टेस्ट  और लिपिड प्रोफाइल परीक्षण (कोलेस्ट्रॉल स्तर सहित) आवश्यक हैं। इसका अधिक स्तर हृदय रोग, स्ट्रोक और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

थायराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test)

आज के समय थायराइड की समस्या होना आम हो गया है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म उम्र के साथ अधिक बढ़ जाते हैं। ये लक्षण कुछ जटिल हो सकते हैं और इनके लिए आसानी से अन्य कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। नियमित थायराइड फ़ंक्शन परीक्षण इन स्थितियों का निदान और उपचार करने में मदद करते हैं, जिससे बेहतर थायराइड स्वास्थ्य सुनिश्चित होता है।

कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)

कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा आयु के साथ बढ़ता है, जिससे 40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के लिए कोलोनोस्कोपी करवाना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह स्क्रीनिंग टेस्ट कोलन या मलाशय में कैंसर-पूर्व पॉलीप या प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगा सकता है। इसके बारे में सही समय में पता लगाकर आप उपचार करा सकती हैं।

ब्लड ग्लूकोज और हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट (Blood Sugar and HbA1c Test)

चयापचय में आयु से संबंधित परिवर्तनों से डायबिटीज या प्रीडायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। नियमित ब्लड शुगर टेस्ट और हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करने और डायबिटीज से संबंधित होने वाली समस्याओं से जल्द कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।