कहते हैं कि मां बनना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास होता है। जब कोई महिला पहली बार अपने बच्चे को गोद में उठाती है, तो वो खुशी शब्दों में बया नहीं की जा सकती। हालांकि, एक मामला ऐसा भी सामने आया है जहां जन्म देने के बाद जब एक मां ने पहली बार अपने बच्चे की झलक देखी, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। अपने बच्चे को देख महिला दर्द से कांप उठी थी। इतना ही नहीं, अस्पताल में मौजूद डॉक्टर्स भी नवजात को देख दंग रह गए।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ये बच्चा एक गंभीर बर्थ डिफेक्ट के साथ पैदा हुआ था, जिसके चलते बच्चे का पूरा शरीर सफेद पड़ चुका था। नवजात को देखने से लग रहा था मानो उसकी त्वचा सीमेंट से बनी हो, जिसपर कई दरारें थीं। बच्चे की आंखों और मुंह का रंग लाल था, इसके अलावा उसके गाल पीछे की ओर लटके थे और सामने से देखने पर बच्चे के कान नजर नहीं आ रहे थे। वो ना तो अपना मुंह बंद कर पा रहा था और ना ही अपनी आंखों को खोल पा रहा था। बस जोर-जोर से रो रहा था। इससे जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसे देख हर कोई हैरान रह गया है।

यहां देखें वीडियो-

आपको बता दें कि ये बच्चा हार्लेक्विन इचिथोसिस (Harlequin ichthyosis) नाम की एक आनुवंशिक बीमारी से पीड़ित है। ये स्किन से जुड़ी गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज फिलहाल संभव नहीं है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से-

क्या है हार्लेक्विन इचिथोसिस?

हार्लेक्विन इचिथोसिस एक प्रकार का त्वचा से जुड़ा रोग है, जिससे पीड़ित बच्चे बेहद मोटी त्वचा की एक अतिरिक्त परत के साथ पैदा होते हैं। उनके पूरे शरीर पर शुष्क स्किन की परत होती है, जो कठोर होने पर फटने लगती है। देखने पर ये हीरे के आकार की प्लेटों जैसी लगती हैं, जिसे छूने पर पीड़ित को तेज दर्द और जलन का अहसास हो सकता है। इतना ही नहीं, इस गंभीर बीमारी से ग्रसित शिशु इतना दुर्बल होता है कि वह खुद से अपना मुंह तक बंद नहीं कर पाता है। ऐसे में जन्म के बाद उसे ट्यूब की मदद से दूध पिलाया जाता है।

बरतनी पड़ती हैं ये सावधानी

जैसा की ऊपर जिक्र किया गया है, हार्लेक्विन इचिथोसिस से पीड़ित बच्चे की स्किन बेहद शुष्क होती है, ऐसे में उनकी त्वचा पर हर चार घंटे में मॉइस्चराइजर लगाने की जरूरत होती है। इसके अलावा बच्चे को धूप से भी अलग रखा जाता है। कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि हिलने-डुलने पर भी त्वचा फटने का डर रहता है। वहीं, त्वचा के टूटने पर वो अलग होकर बिखरने लगती है, जिससे बच्चे को सांस लेने तक में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

क्यों होती है ये बीमारी?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हार्लेक्विन इचिथोसिस ABCA12 जीन में परिवर्तन के कारण हो सकता है। ABCA12 जीन एक खास तरह के प्रोटीन को बनाने का निर्देश देता है, जो त्वचा कोशिकाओं के सामान्य रूप से विकसित होने के लिए जरूरी है। ऐसे में जब यह जीन उत्परिवर्तित होता है, तो त्वचा से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

बता दें कि यह पुरुषों और महिलाओं को समान संख्या में प्रभावित करती है और लगभग 5 लाख व्यक्तियों में से एक को हो सकती है। जानकारी के अनुसार, दुनिया भर में फिलहाल ऐसे करीब 250 मामले हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।