अक्सर देखा गया है कि महिलाओं को घुटनों का दर्द, कमर दर्द बेहद परेशान करता है। ये परेशानी महिलाओं में 40 साल की उम्र के बाद तेजी से होती है। खराब डाइट और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से अब महिलाओं को कम उम्र में ही ये दर्द परेशानी कर रहा है। जोड़ों के दर्द, सूजन होने की ये दिक्कत पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होती है। डॉक्टर के मुताबिक महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस का असर मेनोपॉज (post-menopause) के बाद अधिक होती है जिसके लिए  बायोलॉजी, जेनेटिक्स और हार्मोन जिम्मेदार है । खराब डाइट और बैठकर रहने वाली जीवनशैली (sedentary lifestyle) से शरीर और जोड़ों की कोशिकाओं में जेनेटिक रिप्रोग्रामिंग ट्रिगर हो जाता है। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा महिलाओं में ज़्यादा क्यों और पुरुषों में क्यों नहीं होता?

महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस ज़्यादा क्यों और पुरुषों में क्यों नहीं होता?

एस्टर CMI हॉस्पिटल, बेंगलुरु  में कंसल्टेंट रूमेटोलॉजी में डॉ. चेतना डी ने बताया कि महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस ज़्यादा होने की मुख्य वजह हार्मोनल बदलाव है। खासतौर पर मेनोपॉज के बाद जब एस्ट्रोजन लेवल गिरता है, तो जोड़ों की सेहत प्रभावित होती है। साथ ही महिलाओं की मांसपेशियां पुरुषों की तुलना में कम मज़बूत होती हैं और जोड़ों में अधिक लचीलापन होता है, जिससे हड्डियों और कार्टिलेज पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम में डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स डॉ. देबाशीष चंदा ने बताया कि महिलाओं की कूल्हे (hips) की चौड़ाई अधिक होती है, जिससे घुटनों की एलाइनमेंट पर असर पड़ता है और वज़न उठाने वाले जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। मांसपेशियां पुरुषों की तुलना में कम मज़बूत होने से जोड़ों को सहारा और स्थिरता भी कम मिलती है। मेनोपॉज के बाद मोटापे की संभावना अधिक होने से जोड़ों में जलन और दबाव और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, अनुवांशिक कारण भी महिलाओं को ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव कैसे करें?

वजन को कंट्रोल करें

हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर इस बीमारी को टाला जा सकता है या फिर देर से शुरु किया जा सकता है। अगर आप चाहते हैं कि जोड़ों के दर्द की इस बीमारी से निजात मिले तो आप वज़न कंट्रोल करें। थोड़ा सा वजन घटाने से भी कूल्हों और घुटनों पर पड़ने वाला दबाव काफी कम हो सकता है।

रेगुलर एक्सरसाइज करें

अगर आप चाहते हैं कि आप जोड़ों के दर्द की इस बीमारी से दूर रहें तो आप रेगुलर एक्सरसाइज करें। खासतौर पर लो-इम्पैक्ट एक्टिविटी जैसे स्विमिंग, वॉकिंग, योग या साइक्लिंग करें। ये एक्सरसाइज जोड़ों को लचीला बनाती हैं और मांसपेशियों को मज़बूत करती हैं।

डाइट का रखें ध्यान

डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर फूड्स का सेवन करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर खाद्य पदार्थ हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करते हैं। प्रोसेस्ड फूड और शुगर वाले फूड्स से परहेज करके आप सूजन को रिवर्स कर सकते हैं।

जोड़ों की करें हिफाजत

सही पोस्टचर अपनाएं। आप पॉश्चर में सुधार करके जोड़ों को समय से पहले होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। आप फिजियोथेरेपी, स्ट्रेचिंग, हीट या कोल्ड पैक से दर्द और जकड़न कम कर सकते हैं।

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