बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक जब भी कोई इंसान किसी धूल मिट्टी वाली जगह पर जाता है, तो उसे छींक आने लगती है। इससे अलग नाक में कुछ तीखा चले जाने पर भी ऐसा ही होता है, लेकिन क्या कभी आपने इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की है? क्या आपने सोचा है कि किसी इंसान को छींक क्यों आती है? इससे अलग क्या कभी आपने छींक को रोकने की कोशिश की है? निश्चित रूप से की होगी। हममें से ज्यादातर लोग ऐसा करते हैं। हालांकि, आपको बता दें कि आपका ऐसा करना जानलेवा भी साबित हो सकता है।
इंटरनेट पर इन दिनों ब्रिटेन में घटित साल 2018 की एक घटना जबरदस्त चर्चा का विषय बनी हुई है। बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, 2018 में यहां एक 34 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी छींक को रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, ऐसा करना व्यक्ति को भारी पड़ गया। छींक रोकने के कुछ देर बाद ही व्यक्ति को गले के आसपास एक तीखा दर्द महसूस होने लगा। देखते ही देखते व्यक्ति के गले पर सूजन बढ़ती चली गई,जिसके चलते थोड़ी ही देर बाद उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। यहां तक की व्यक्ति की आवाज तक बदल गई थी।
समस्या बढ़ने पर व्यक्ति बिना अधिक देर किए नजदीकी अस्पताल पहुंचा जहां जांच के बाद डॉक्टर ने पीड़ित को ऐसी जानकारी दी, जिसे सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। व्यक्ति की जांच कर रहे डॉक्टर का कहना था कि जबरदस्ती अपनी छींक रोकने के कारण उसे इन सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। बता दें कि इससे पहले पीड़ित शख्स को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी, ना ही वह बुखार या अन्य किसी बीमारी से पीड़ित था। इन सब से अलग डॉक्टर के मुताबिक, शख्स के जबरन छींक रोकने पर अधिक प्रेशर के चलते उसके गले के मुलायम टिश्यूज फट गए, जिससे वहां छेद हो गया।
गनीमत रही कि करीब हफ्ते भर अस्पताल में ट्रीटमेंट के बाद व्यक्ति की हालत में सुधार देखा गया और बाद में उसे पूरी तरह ठीक होने पर डिस्चार्ज भी कर दिया गया। हालांकि, डॉक्टर्स द्वारा शख्स को सीधे तौर पर हिदायत दी गई कि अगर वह दोबारा कभी भी छींक रोकने की कोशिश करता है, तो बात उसकी जान तक पर बन सकती है।
क्यों आती है छींक?
बता दें कि छींकना शरीर की एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया है। इसके जरिए शरीर नाक और लंग्स की हवा को मुंह और नाक के जरिए बाहर निकलता है। इससे अलग अगर नाक में कोई बैक्टीरिया, वायरस या किसी तरह की कोई बाहरी चीज घुस जाती है, तो छींक आने से वह बाहर निकल जाती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि लगभग 95% लोग दिन में करीब चार बार छींकते हैं और यह पूरी तरह से नार्मल है।
छींक रोकना क्यों है खतरनाक?
दरअसल, छींक आने के दौरान हमारे नासा-छिद्रों से तेज रफ्तार में हवा बाहर आती है। ऐसे में अगर आप छींक रोकते हैं तो ये सारा दबाब दूसरे अंगों की ओर मुड़ जाता है। इससे सबसे अधिक नुकसान कान को हो सकता है। जब आप जरबन छींक रोकते हैं, तो इससे श्वसन तंत्र में जो हवा बनती है वो कानों की ओर पहुंच जाती है। इस हवा में काफी दबाव होता है, ऐसे में ये आपके कान के पर्दे तक फाड़ सकती है। इसके अलावा छींक रोकने से जो ब्लड वेसल्स आंख, नाक और कान से होते हुए गुजरती हैं, वे फट भी सकती हैं। ऐसे में इस तरह की जानलेवा गलती को दोहराने से बचें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
