कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। शरीर में एक बार कैंसर घर बना लेता है तो यह धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है और अंत में पीड़ित का जान तक चली जाती है। कैंसर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरी ऐसी बीमारी है, जिसकी महिलाएं तेजी से शिकार हो रही हैं। ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे गंभीर कैंसर में से एक है। अगर इसका समय रहते इलाज किया जाए तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।
लंबे समय तक ओवेरियन कैंसर को वृद्ध महिलाओं की बीमारी माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में भारत के कई हिस्सों में डॉक्टर एक चौंकाने वाला बदलाव देख रहे हैं। अब यह कैंसर केवल 60 या 70 वर्ष की महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि 40 और 50 वर्ष की उम्र की महिलाएं भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रही हैं।
मुंबई की 54 वर्षीय महिला का मामला इस बदलते समय की एक झलक है। महिला को कोई गंभीर बीमारी का इतिहास नहीं था, लेकिन परिवार में ओवेरियन कैंसर रहा था। महीनों तक उन्हें हल्का पेट दर्द और सूजन महसूस होती रही, जिसे उन्होंने नजरअंदाज किया। जब तक उन्होंने जांच करवाई, तब तक कैंसर स्टेज IIIC तक पहुंच चुका था। जांच में सामने आया कि उन्हें हाई-ग्रेड सीरियस ओवेरियन कार्सिनोमा है और उनका CA-125 ट्यूमर मार्कर बेहद ऊंचा था। इसके साथ ही उन्हें जेनेटिक टेस्टिंग में BRCA1 म्यूटेशन भी पाया गया, जिससे उनका रिस्क और ज्यादा बढ़ गया।
महिला का इलाज कर रहे डॉ. आशीष जोशी (डायरेक्टर और को-फाउंडर, M|O|C Cancer Care & Research Centre) ने बताया कि मरीज को पहले कीमोथेरेपी दी गई, क्योंकि कैंसर ऑपरेशन योग्य नहीं था। कीमो के बाद बाकी कैंसर को हटाने के लिए सर्जरी की गई। इलाज के बाद उनकी स्कैन रिपोर्ट्स कैंसर-फ्री आईं। क्योंकि, उनमें BRCA1 म्यूटेशन था, इसलिए उन्हें लंबे समय तक राहत और बेहतर रिजल्ट के लिए टारगेटेड थेरेपी पर रखा गया। इस केस से पता चलता है कि अगर समय पर डायग्नोसिस और सही इलाज मिले, तो एडवांस्ड स्टेज में भी मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसके साथ ही डॉ. आशीष जोशी ने इस बढ़ते खतरे के कई कारण बताए हैं।
लाइफस्टाइल चेंज और मोटापा
शहरी भारतीय महिलाओं में मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम तेजी से बढ़ रहा है। अधिक चर्बी शरीर में एस्ट्रोजन और सूजन को बढ़ाती है, जिससे ओवेरियन कैंसर का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है।
हार्मोनल असंतुलन
आजकल अधिकतर महिलाएं देर से शादी और बच्चे पैदा करने का फैसला लेती हैं या फिर मातृत्व को टाल देती हैं, जबकि गर्भावस्था और स्तनपान प्राकृतिक रूप से ओवेरियन कैंसर से बचाव करते हैं, क्योंकि इससे ओवुलेशन साइकल कम हो जाते हैं और लंबे समय तक एस्ट्रोजन का असर घटता है।
पीसीओएस और प्रजनन संबंधी समस्या
आजकल पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम युवा महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है। यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन पैदा करती है, जिससे आगे चलकर ओवेरियन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।
जेनेटिक कारण
BRCA1 और BRCA2 जीन में बदलाव से महिलाओं में कम उम्र में ही ओवेरियन कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में जेनेटिक टेस्टिंग का उपयोग बहुत कम है, जिस कारण कई हाई-रिस्क महिलाएं तब तक अनजान रहती हैं जब तक कैंसर की पुष्टि न हो जाए।
पर्यावरण और लाइफस्टाइल फैक्टर
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव, खराब खानपान, केमिकल्स और प्रदूषण भी ओवेरियन कैंसर के प्रमुख कारण बन रहे हैं। खासकर शहरी इलाकों में इसका खतरा ज्यादा देखने को मिल रहा है।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।