आजकल के समय में कम उम्र में ही लोगों के बाल सफेद हो रहे हैं। अक्सर लोग बालों का सफेद होना एक नेचुरल प्रक्रिया समझते हैं और कई लोग इसे सिर्फ ब्यूटी से जुड़ा मुद्दा मानते हैं और बालों को रंगने के लिए हेयर कलर का सहारा लेते हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को पता है कि बालों का सफेद होना कई बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सफेद बाल सिर्फ उम्र बढ़ने की निशानी नहीं, बल्कि यह थायराइड, हार्ट प्रॉब्लम्स और अन्य गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकते हैं। बालों में कलर का इस्तेमाल शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
दरअसल, सफेद बाल हमेशा उम्र का एक साधारण संकेत नहीं होते। कई मामलों में यह स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और अंगों में कोई समस्या या फिर शरीर में पोषण संबंधी कमियों का शुरुआती संकेत भी हो सकता है। ऐसे में खानपान से लेकर लाइफस्टाइल का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है। पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना, तनाव को नियंत्रित करना, धूम्रपान से बचना और नियमित हेल्थ चेकअप करवाना। ऐसा करने से बालों का रंग और लॉन्ग टर्म हेल्थ इश्यू की समस्या से बचा सकता है।
कम उम्र में सफेद बाल क्यों होते हैं?
- पोषण की कमी- विटामिन B12, फोलिक एसिड, आयरन और कॉपर की कमी से बालों का नेचुरल पिगमेंट (मेलानिन) घटने लगता है।
- हार्ट हेल्थ- जिन लोगों के बाल जल्दी सफेद होते हैं, उनमें हार्ट संबंधी समस्या का खतरा अधिक हो सकता है।
- तनाव और लाइफस्टाइल- मानसिक तनाव, धूम्रपान और नींद की कमी भी सफेद बालों का कारण बन सकते हैं।
- जेनेटिक- परिवार में जल्दी बाल सफेद होने का इतिहास है, तो यह समस्या आम हो सकती है।
- हेयर कलर की वजह से
विटामिन बी12 की कमी
विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और तंत्रिका संबंधी कार्यों के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से मेलानोसाइट्स की गतिविधि कम हो जाती है, जिससे समय से पहले बाल सफेद होने लगते हैं। विटामिन बी12 की कमी होने पर बालों में बदलाव के अलावा अक्सर थकान, एनीमिया और तंत्रिका संबंधी समस्या भी देखने को मिल सकती है।
थायराइड
थायराइड ग्रंथि, थायराइड हार्मोन के माध्यम से मेटाबॉलिज्म और त्वचा पर मौजूद छोटे-छोटे छिद्र की गतिविधि को कंट्रोल करती है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म दोनों ही बालों के रोमकूपों में मेलेनिन के उत्पादन को बाधित कर सकते हैं, जिसके चलते समय से पहले बाल सफेद होने के साथ-साथ बालों का पतला होना और रूखापन जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी
ऑटोइम्यून बीमारी मेलानोसाइट्स और बालों के रोमों को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। विटिलिगो त्वचा और बालों दोनों में मेलानोसाइट्स को नष्ट कर देता है, जिससे त्वचा पर धब्बे हो जाते हैं। एलोपेसिया एरीटा के कारण बाल अचानक झड़ने लगते हैं, जिससे अक्सर भूरे या सफेद बाल फिर से उग आते हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी में 2015 में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि सामान्य आबादी की तुलना में ऑटोइम्यून बीमारी से ग्रस्त रोगियों में समय से पहले बाल सफेद होने की दर काफी अधिक है।
पोषण संबंधी समस्या
हेल्दी और फिट शरीर के लिए पोषक तत्व बहुत ही आवश्यक होते हैं। पोषक तत्वों की कमी समय से पहले सफेद बालों का एक आम, लेकिन कम पहचाना जाने वाला कारण है। आयरन, फोलिक एसिड और जिंक की कमी से रोमकूपों की गतिविधि कम हो जाती है। तांबे की कमी से टायरोसिनेस नामक एंजाइम बाधित होता है, जो मेलेनिन उत्पादन के लिए जरूरी है।
वहीं, NCBI में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लिवर को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ए और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में जरूर होनी चाहिए।