शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को नियंत्रित रखना डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी आवश्यक होता है। क्योंकि शरीर में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा बढ़ने के कारण कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ब्लड शुगर का लेवल शरीर में तब बढ़ता है, जब पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता या फिर शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण टाइप 1 डाइबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
हाई ब्लड शुगर लेवल के लक्षण: शरीर में अगर ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, तो इससे तनाव, थकावट, किडनी संबंधित बीमारियां, सिर दर्द, आंखों की रोशनी धुंधली होना, दिल से जुड़ी बीमारियां, वजन घटना, ध्यान केंद्रीत ना कर पाना, लगातार पेशाब लगना और बार-बार प्यास लगना समेत कई समस्याएं होने लगती हैं।
बता दें, आपकी उम्र और बॉडी मास इंडेक्स पर भी शरीर का ब्लड शुगर लेवल निर्धारित होता है। जिनका बॉडी मास इंडेक्स 25 से ज्यादा होता है, उनको हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, दिल से संबंधित बीमारी, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को शुरुआती ब्लड शुगर लेवल की जांच करने की सलाह दी जाती है। अगर उनका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल है, तो फिर हर तीन साल पर स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के समय में डायबिटीज हो चुकी है, उन्हें भी हर तीन साल पर डायबिटीज की जांच कराने की सलाह दी जाती है।
बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति जिसने पिछले 8 घंटे से कुछ नहीं खाया हो, उसका नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 70-99 mg/dl के बीच होता है। वहीं, खाना खाने के बाद यह बढ़कर 140 mg/dl हो जाता है। रात में सोते समय यह 120mg/dl हो जाता है। अलग-अलग व्यक्ति का शुगर लेवल अलग-अलग होता है।
यदि युवाओं में शुगर का स्तर 200 से 350 mg/dl होता है और बच्चों के शरीर में यह 200 से 240 mg/dl होता है, तो इससे हल्के लक्षण महसूस होते हैं। इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, अगर युवाओं में शुगर का स्तर 300 mg/dl और बच्चों में 240 mg/dl से ज्यादा होता है, तो गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।