कोरोना और निपाह वायरस के बाद अब ‘स्क्रब टाइफस’ (Scrub Typhus) के बढ़ते मामलों ने लोगों के मन में खौफ पैदा कर दिया है। अबतक हिमाचल और ओडिशा में ही इसकी चपेट में आने से 15 लोगों की मौत की जानकारी सामने आ रही है। इससे अलग भी देश के कई राज्यों में स्क्रब टाइफस से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में स्क्रब टाइफस क्या है? ये कैसे होता है? इसकी चपेट में आने पर किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं? किन लोगों को इस बीमारी के प्रति ज्यादा सजग और सावधान रहने की जरूरत है? आइए जानते हैं इसके बारे में-
क्या है स्क्रब टाइफस?
बता दें कि ये ‘ओरिएटिया सुसुगामुशी’ नाम के एक बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक्यूट रोग है। जुओं के आकार का दिखने वाला ये कीट आमतौर पर झाड़ी या नमी वाली जगहों पर पाया जाता है। इसके अलावा ये बैक्टीरिया चूहों, खरगोशों और गिलहरियों के शरीर पर भी मौजूद रहते हैं।
कैसे फैलती है ये बीमारी?
ओरिएटिया सुसुगामुशी के काटने से ये बीमारी मनुष्य के शरीर में फैलती है। इसके अलावा चूंकि ये एक संक्रामक बीमारी है, ऐसे में ये बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आने, कीड़े के मल के कॉन्टेक्ट में आने, बिना टेस्ट किया हुआ खून चढ़ाने या फिर इन्फेक्टेड सूई का इस्तेमाल करने से भी शरीर में फैल सकती है।
किस मौसम में है अधिक खतरा?
वैसे तो ये बीमारी पूरे साल कभी भी फैल सकती है लेकिन बारिश के मौसम में चूंकि कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है, ऐसे में इस सीजन में स्क्रब टाइफस होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।
किन लोगों को है अधिक सावधान रहने की जरूरत?
खेतों में घूमने और काम करने वाले किसानों, फौजी, खनिक, भूविज्ञानी और वन विभाग में काम करने वाले लोगों को इसकी चपेट में आने का अधिक खतरा है।
क्या हैं लक्षण?
स्क्रब टाइफस के संपर्क में आने पर पीड़ित को तेज बुखार, तेज सिरदर्द, सूखी खांसी, अधिक कमजोरी, चक्कर और बेहोशी आना, लिवर से जुड़ी परेशानी होना, सांस लेने में तकलीफ होना और मांसपेशियों में तेज दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा अगर आपके शरीर में कहीं भी कीड़े के काटने के निशान दिखें, तो बिना देरी किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।