पाइल्स ख़राब डाइट, बिगड़ते लाइफस्टाइल और तनाव की वजह से होने वाली बीमारी है। भारत में यह बीमारी बेहद आम हो चुकी है। पाइल्स दो तरह की होती है खूनी बवासीर और बादी बवासीर। पाइल्स मलद्वार में सूजी हुई नसें होती हैं। इस बीमारी के लिए फैमिली हिस्ट्री जिम्मेदार है। अगर आप की फैमिली में किसी को यह बीमारी है तो आपके इस बीमारी से पीड़ित होने के आसार ज्यादा रहते हैं। इस बीमारी का सबसे आम कारण मलद्वार पर दबाव पड़ना है।
केयर हॉस्पिटल नागपुर में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, डॉक्टर शंकर जंवर ने बताया कि पाइल्स दो तरह की होती है जिसके अंदरूनी और बाह्य दोनों तरह के लक्षण दिखते हैं। इस बीमारी के पनपने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे अगर आपको कब्ज है और शौच के समय आप ज़्यादा ज़ोर लगाते हैं,मोटापा है, बहुत ज्यादा वजन उठाने का काम करते हैं, आप की डाइट में फाइबर की कमी है या प्रेग्नेंट है तो आप को यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से डरने की या इसे छुपाने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी के बारे में जानकारी हासिल करके आप इस बीमारी का बेहतर तरीके से उपचार कर सकते हैं।
अंदरूनी पाइल्स और बाह्य पाइल्स क्या है?
बाह्य पाइल्स के लक्षणों की बात करें तो मलद्वार में दर्द, मल के साथ खून आना, मलद्वार में सूजन आना, बाहर कुछ निकलने का अहसास होना, सूजन रहना बाह्य पाइल्स के लक्षण हैं।
अंदरूनी पाइल्स
अंदरूनी पाइल्स में दर्द नहीं होता लेकिन मल के साथ खून आना सबसे आम लक्षण है। शौच के दौरान मस्से का बाहर आना और शौच के बाद ख़ुद ही मस्सों का अंदर चले जाना अंदरूनी पाइल्स के लक्षण हैं। डॉक्टर लक्षणों के बारे में जानकर इस बीमारी के टाइप का पता लगाते हैं।
बीमारी की कौन-कौन सी होती है जांच
इस बीमारी की जांच डॉक्टर लक्षणों से करते हैं, साथ ही दो टेस्ट भी करते हैं। endoscopy or sigmoidoscopy के जरिये इस बीमारी की पहचान की जाती है। डॉक्टर के मुताबिक मल के साथ खून आने के लक्षणों को हल्के में नहीं लें यह गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
पाइल्स की बीमारी का इलाज
- सबसे पहले डाइट में बदलाव करें। डाइट में फ़ाइबर से भरपूर रेशे वाले फूड्स का ज़्यादा सेवन करें। फल और सब्जियों का सेवन करें। कोशिश करें कि आप अपने खाने में 20-35 ग्राम फाइबर जरूर खाएं।
- पानी का सेवन ज्यादा करें। पानी का सेवन करने से मल लूज होगा और कब्ज टूटेगा। जब आपका मल लूज होगा तो आपको ज्यादा जोर लगाने की जरूरत नहीं होग
- एक्सरसाइज कीजिए। बॉडी की एक्टिविटी करने से आंतों की मूवमेंट दुरुस्त रहेगी। बॉडी मूवमेंट करने के लिए आप कम से कम आधे घंटे की वॉक जरूर कीजिए।
- टॉयलेट जाने के लिए प्रेशर हो तो तुरंत जाएं उसे कंट्रोल नहीं करें। ज्यादा देर टॉयलेट रोकने से मलद्वार पर दबाव पड़ता है।
- मल त्याग के दौरान जोर नहीं लगाएं।
- अगर आपका वजन ज्यादा है तो आप उसे कंट्रोल करें।
- अगर एनस के आसपास दर्द हो रहा है तो आईस पैक से सिकाई कीजिए इससे दर्द कम होगा।
- गुनगुने पानी में डिटोल डालकर टब में 5-10 मिनट तक बैठें।
- अगर लक्षण कंट्रोल नहीं होते तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।