सुबह का नाश्ता हमारा पहला खाना है जिसे हम 10-12 घंटों के उपवास के बाद खाते हैं। कुछ लोग सुबह का नाश्ता बदल-बदल के करते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हर रोज एक ही तरह का नाश्ता खाने के आदि हो जाते हैं। सुबह के नाश्ते में अक्सर लोग अंडा, मक्खन, ब्रेड और दूध लेना पसंद करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हर रोज नाश्ते में ब्रेड-ऑमलेट खाना पसंद करते हैं। ऑमलेट-ब्रेड सबसे आसान, फटाफट और भरोसेमंद नाश्ता है। ये न सिर्फ बनाने में बेहद सरल है, बल्कि पोषण के मामले में भी अच्छा स्कोर करता है।
ब्रेड की टोस्टेड क्रंच और अंडे का मुलायम टेक्सचर कॉम्बिनेशन इसे एक क्लासिक ब्रेकफास्ट बना देता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि हर दिन अंडा ब्रेड खाने से सेहत पर कोई साइड इफेक्ट तो नहीं होते? आइए जानते हैं कि अंडा ब्रेड खाने से सेहत में कौन-कौन से बदलाव होते हैं।
अंडा ब्रेड खाने से सेहत में कौन-कौन से बदलाव होते हैं?
न्यूट्रएसी लाइफस्टाइल की फाउंडर और CEO, पोषण विशेषज्ञ डॉ. रोहिणी पाटिल कहती हैं कि रोज़ाना ब्रेकफ़ास्ट में ब्रेड-ऑमलेट खाना बिल्कुल सामान्य और हेल्दी है, बशर्ते आप इंग्रीडिएंट्स और पोर्शन साइज को कंट्रोल रखें। अंडे के साथ आप कौन-सी ब्रेड खाते हैं, यही सबसे बड़ा फर्क डालती है। पाटिल बताती हैं कि अंडा पोषण का पावर हाउस होते हैं। इनमें हाई-क्वालिटी प्रोटीन, विटामिन-B, कोलीन और आवश्यक एमिनो एसिड होते हैं जो मांसपेशियों, मेटाबॉलिज़्म और दिमाग के कार्यों को सपोर्ट करते हैं। लेकिन ब्रेड-ऑमलेट कितना हेल्दी है, यह काफी हद तक ब्रेड के प्रकार और उसे पकाने के तरीके पर निर्भर करता है।
व्हाइट ब्रेड
अगर आप ऑमलेट के साथ सफेद ब्रेड खाते हैं तो उसके इंग्रीडेंट को जरूर समझें। सफेद ब्रेड में बेहद रिफाइंड और फाइबर कम होता है जो जल्दी पचता है। इसका सेवन करने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है। इसे खाने से जल्दी भूख लगती है।
ब्राउन ब्रेड
ब्राउन ब्रेड कई बार सिर्फ कैरामेल कलर मिलाकर बनाई जाती है। तब तक हेल्दी नहीं जब तक पहला इंग्रीडिएंट ‘होल व्हीट’ न हो।
होल व्हीट ब्रेड
होल व्हीट ब्रेड में फाइबर और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स अधिक होता है। इसका सेवन करने से पाचन धीरे होता है और पेट लम्बे समय तक भरा रहता है। ये ब्रेड गट हेल्थ को सपोर्ट करती है।
मल्टीग्रेन ब्रेड
मल्टीग्रेन ब्रेड तभी बेहतर होती है जब होल-ग्रेन मल्टीग्रेन हो। कई ब्रांड सिर्फ मैदा में कुछ दाने मिला देते हैं। डायबिटीज, फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया या हार्ट डिजीज वाले लोगों को व्यक्तिगत सलाह लेनी चाहिए, लेकिन इन मामलों में भी अंडे सीमित मात्रा में सही रहते हैं।
इन चीज़ों से बचें
पोषण विशेषज्ञ सलाह देती हैं कि अंडा ऑमलेट को ज़्यादा तेल, ज़्यादा बटर और व्हाइट ब्रेड का सेवन करने से बचें। तेल, मक्खन और घी का सेवन करने से बॉडी में कैलोरी बढ़ती है। इस तरह अंडे आमलेट का सेवन करने से ब्लड में शुगर का स्तर भी तेजी से स्पाइक करता है।
ब्रेड-ऑमलेट रोज़ खाने से शरीर में होने वाले प्रमुख बदलाव
- रोजाना आमलेट और ब्रेड खाने से मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है। रोज़ाना प्रोटीनयुक्त नाश्ता लेने से मेटाबॉलिज़्म एक्टिव रहता है। अंडे का प्रोटीन मांसपेशियों को सपोर्ट करता है और दिनभर एनर्जी लेवल स्थिर रखता है।
- ब्लड शुगर पर होता है असर। रोज व्हाइट ब्रेड खाने से शुगर स्पाइक करता है। होल व्हीट ब्रेड से शुगर बेहतर कंट्रोल रहता है। यह डायबिटीज वाले लोगों के लिए खास तौर पर अहम है।
- होल-ग्रेन और ऑमलेट का सेवन करने से भूख लम्बे समय तक नहीं लगती। जबकि व्हाइट ब्रेड जल्दी भूख लगाती है, जिससे बार-बार खाने की आदत बन सकती है।
- वजन बढ़ सकता और घट भी सकता है। ज्यादा तेल, बटर और मैदा वाली ब्रेड वजन बढ़ा सकती है। तेल को कंट्रोल करने से वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
- मांसपेशियां होती है मजबूत। अंडे में मौजूद हाई-क्वालिटी प्रोटीन और अमीनो एसिड रोज़ाना सेवन करने पर मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रिकवरी बेहतर होती हैं।
- दिमाग तेज़ होता और बेहतर होता है। अंडे में कोलीन होता है, जो ब्रेन फंक्शन, याददाश्त और फोकस के लिए बहुत जरूरी है। रोज़ाना ब्रेकफ़ास्ट में मिलने से कॉग्निटिव परफॉर्मेंस बेहतर हो सकता है।
- पाचन पर होता है असर। फाइबर-युक्त होल व्हीट ब्रेड पाचन मजबूत करता है। कम फाइबर वाली ब्रेड कब्ज़ और एसिडिटी का जोखिम कम होता है। कोलेस्ट्रॉल पर हल्का प्रभाव होता है। हेल्दी इंसान के लिए रोज़ 1 अंडा खाना सुरक्षित है।
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