किडनी हमारी बॉडी का अहम अंग है जिसका काम खून को शुद्ध करना और शरीर में पानी एवं क्षार का संतुलन कर पेशाब बनाना है। किडनी बॉडी से टॉक्सिन को फ्लश आउट करती है। शरीर में नमक, मिनरल्स और पानी को संतुलित रखने में मदद करती है। बॉडी के इस अहम अंग में अगर कुछ खराबी हो जाए तो शरीर बीमारियों का घर बन जाएगा। हॉर्स शू किडनी एक ऐसी बीमारी है जो बच्चे के जन्म से पहले ही गर्भ में पनपने लगती है। आंकड़ों के मुताबिक ये बीमारी 500 में से 1 बच्चे को होती है। इस बीमारी का खतरा लड़कों को ज्यादा और लड़कियों को कम होता है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर हॉर्स शू किडनी क्या है? किडनी की ये समस्या क्यों होती है और इसका कारण और उपचार कैसे संभव है।
सर गंगा राम अस्पताल दिल्ली में वरिष्ठ सलाहकार नेफ्रोलॉजी में डॉ.मनीष मलिक ने बताया हालांकि हॉर्स शू किडनी भी नॉर्मल किडनी की तरह ही काम करती है, लेकिन इस किडनी की परेशानी उम्र बढ़ने पर खासकर 30-35 साल की उम्र में परेशान करती है।
हॉर्स शू किडनी क्या है?
जन्म से किडनी जुड़ी होने की समस्या को हॉर्स शू किडनी कहते हैं। हॉर्स शू किडनी, जिसे रीनल फ़्यूज़न भी कहा जाता है, तब होता है जब दो किडनी एक साथ जुड़ जाती हैं हैं। हॉर्स शू किडनी से मतलब घोड़े के नाल की किडनी से है। वे घोड़े के नाल जैसी आकृति की किडनी होती है और दो सामान्य किडनी की तुलना में एक अलग स्थान पर होती है।
बच्चों में होती है हॉर्स शू किडनी की समस्या
हॉर्स शू किडनी की परेशानी बच्चों में होती है। हॉर्स शू किडनी को रेनल फ्यूजन भी कहा जाता है। इस रोग में बच्चे की दोनों किडनी जुड़ कर घोड़े के नाल के आकार में जुड़ जाती है। हॉर्स शू किडनी जन्म से होने वाला रोग है जिसमें बच्चा मां के पेट में ही किडनी की इस समस्या से ग्रासित हो जाता है। जैसे जैसे बच्चे का विकास होता है वैसे वैसे बच्चे की किडनी पेट के निचले हिस्से में बढ़ने लगती है। ये बीमारी बेहद कम लोगों में पाई जाती है। 500 में एक बच्चे को ये परेशानी होती है। एक रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि ये परेशानी लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में ज्यादा देखने को मिलती है।
हॉर्श शू किडनी को लक्षण
- हॉर्श शू किडनी जन्मजात बीमारी है। जिसमें पेशाब आना बंद हो जाता है।
- पेशाब में खून आने लगता है,पेशाब में बदबू आने लगती है, जो संक्रमण का कारण बन जाता है।
- हॉर्स शू किडनी में पेट में दर्द की शिकायत रहती है। अंत में किडनी खराब हो जाती है। ऐसी किडनी का इलाज सिर्फ सर्जरी है।
- उम्र बढ़ने पर ये परेशानी ज्यादा तकलीफ देती है।
- युवाओं में हॉर्स शू किडनी की वजह से किडनी स्टोन होने की समस्या,बैचेनी और दर्द की शिकायत हो सकती है।
- हमेशा पेट में दर्द होना।
- बुखार होना,पेशाब में तेज गंध आना
- पेशाब जाने की तीव्र इच्छा होना
- यूरिन पास करने में जलन और दर्द होना शामिल है।
होर्स शू किडनी रोग की पहचान कैसे करें
- होर्स शू किडनी की परेशानी का पता 25-30 साल की उम्र में चलता है। अगर आप अपनी बीमारी की पहचान करना चाहते हैं तो कुछ खास टेस्ट करके आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं।
- अल्ट्रा साउंड में भी हॉर्स शू किडनी का पता लगाया जा सकता है।
- DTPA scan करा के आप किडनी की इस परेशानी का पता लगाया जा सकता है। ये स्कैन किडनी का फंक्शन बता देता है कि किडनी किस तरह काम कर रही है।
- हर पांच साल में एक बार पेट का अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं।
- हॉर्श शू किडनी की वजह से पथरी की परेशानी हो सकती है। पेल्विस के आस-पास पेट में दर्द होता है जिससे
होर्स शू किडनी का इलाज
- विशेषज्ञों का मानना है कि हॉर्सशू किडनी रोग का कोई स्टीक इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों से होने वाली समस्याओं की रोकथाम जरूर की जा सकती है।
- इसका इलाज बच्चे में रोग के लक्षणों, उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- संक्रमण से बचने के लिए एंटिबॉयोटिक्स लेना और किडनी की पथरी की सर्जरी कराई जाती है।
- इसके अलावा आपके बच्चे को किसी खेल-कूद में भाग लेने के लिए मनाही की सलाह दी जाती है।