Diabetes and Weight Management: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह वजन बढ़ने से लोगों में डायबिटीज बीमारी का खतरा बढ़ता है, ठीक उसी तरह मधुमेह रोगियों का वजन भी घट-बढ़ सकता है। ज्यादा वजनदार लोगों या फिर मोटे लोगों को टाइप 2 डायबिटीज का खतरा होता है। वहीं, जो मरीज टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित होते हैं, उनका पैन्क्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं प्रोड्यूस कर पाता है जिससे शरीर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शुगर का इस्तेमाल नहीं कर पाता है और मरीजों का वजन घटने लगता है।

वहीं, टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है यानी पैन्क्रियाज कुछ मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस तो करते हैं लेकिन शरीर उनका इस्तेमाल करने में असमर्थ होता है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज और वजन में क्या संबंध है –

इस बीमारी में कैसे घटता है वजन: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अनियंत्रित डायबिटीज का एक लक्षण वजन में गिरावट भी होती है। टाइप 1 डायबिटीज में इम्युन सिस्टम पैन्क्रियाटिक सेल्स पर हमला करते हैं जिससे वो इंसुलिन नहीं बना पाता है।

ऐसे में ग्लूकोज बॉडी सेल्स तक नहीं पहुंच पाता है और किडनी इन बगैर इस्तेमाल किये ग्लूकोज को पेशाब के जरिये बाहर का रास्ता दिखाते हैं। इस वजह से शरीर को एनर्जी के लिए बॉडी में जमा फैट को यूज करना पड़ता है जिससे फैट बर्न होता है और वजन में गिरावट आती है। वहीं, अगर मरीज बाहर से इंसुलिन लेते हैं तो इससे दोबारा उनका वजन बढ़ सकता है।

टाइप 2 डायबिटीज में जरूरी है वेट लॉस: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाता है तो शुगर की मात्रा खून में बढ़ने लगती है। जिन लोगों का वजन अधिक होता है उनमें डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। इस वजह से शुगर लेवल को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं, एक रिसर्च के मुताबिक वयस्कों में अगर शरीर का वजन 5 से 7 फीसदी भी कम हो जाता है तो इससे इस बीमारी के पनपने का खतरा 50 परसेंट तक कम हो जाता है।

क्या हैं वजन घटाने के फायदे: वजन कंट्रोल में रहने से शरीर ज्यादा एक्टिव रहता है। इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस में कमी होती है जिससे शुगर लेवल काबू करने में आसानी होती है। इससे बॉडी में ऊर्जा का स्तर और मूड दोनों बेहतर होता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड का लेवल कम होता है। साथ ही, मरीजों में किडनी और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है।