Vision Loss: आज के समय में कम लोगों में ही कई लोगों के चश्मा लग जाता है। इसका मुख्य कारण बिगड़ी लाइफस्टाइल माना जाता है। हालांकि नजरों के कमजोर होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी अधिकतर लोगों की आई साइट कमजोर हो जाती है। इसके अलावा भी कई ऐसी बुरी आदतें है, जो नजरों के कमजोर होने का कारण बन सकती है। ऐसे में इन बीमारियों को नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं हो सकता है।

कई लोगों को अचानक से कुछ सेकंड के लिए आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है या फिर धुंधला सा दिखने लगता है। कई बार ये चीज कमजोरी के कारण भी हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, आंखों का धुंधलापन या फिर कमजोरी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह कई अन्य बीमारियों का कारण भी हो सकता है। जानिए किन अन्य कारणों से नजरे कमजोर हो जाती है।

अधिक स्क्रीन टाइम

इस बात को तो अच्छी तरह से जानते हैं कि स्क्रीन के सामने अत्यधिक समय बिताने के कारण भी आंखें की रोशनी तेजी से कम हो जाती है। फिर चाहे वह कंप्यूटर,स्मार्टफोन या फिर टेलीविजन ही क्यों न हो। स्क्रीन टाइम अधिक होने के कारण हमारी आंखों पर अधिक जोर पड़ता है। इसके साथ ही आंखें रूखी सी हो जाती है। इसलिए इलेक्ट्रॉनिक चीजों का इस्तेमाल करते समय नियमित रूप से ब्रेक लें। इसके साथ ही अपनी आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें।

स्मोकिंग करना

आईक्यू (EyeQ) के चीफ मेडिकल डायरेक्टर अजय शर्मा के अनुसार, स्मोकिंग का असर आंखों पर भी अधिक होता है। तम्बाकू के धुएं से निकलने वाले जहरीले रसायन सीधे आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। जिसके कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके अलावा मोतियाबिंद के विकास तेजी से बढ़ जाता है। इसके साथ ही अगर व्यक्ति को डायबिटीज है, तो रेटिनोपैथी को खराब करता है, रात की दृष्टि को कम करता है, ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है और ग्लूकोमा और यूवाइटिस जैसी आंखों की विभिन्न स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

आंख संबंधी समस्याओं को नजरअंदाज करना

आंखों के लगातार लक्षणों को नजरअंदाज करना के कारण भी कई समस्याएं हो सकती है। जैसे धुंधली दृष्टि,आंखों में दर्द, लालिमा, आँखों की संभावित स्थितियों के उपचार में देरी करना आदि शामिल है। यदि आप किसी भी संबंधित लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

ऑटोनोमस डिजीज

डायबिटीज के कारण ही नहीं बल्कि कई ऑटोनोमस डिजिजेक्स जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज आदि के कारण भी आंखों की रोशनी कम हो सकती है।