भारत में विटामिन D की कमी एक साइलेंट हेल्थ प्रॉब्लम बन चुकी है। भारत एक गर्म आबोहवा वाला देश है जहां धूप रहती है फिर भी यहां 70% से 90% लोगों में विटामिन D की कमी पाई गई है। विटामिन डी एक ऐसा पोषक तत्व है जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करता है। ये इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है, थकान और बार-बार बीमार होने की परेशानी को दूर करता है। विटामिन D कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने में मदद करता है।
इसकी कमी से हड्डियां दर्द करने लगती हैं और आसानी से कमजोर हो जाती हैं। कम विटामिन D शरीर की ऊर्जा बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है जिससे बॉडी में थकान रहती है। विटामिन D दिमाग के मूड कंट्रोल हार्मोन को प्रभावित करता है। इसकी कमी से उदासी, चिड़चिड़ापन और लो-मूड रहता है।
ठाणे के जुपिटर हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डायरेक्टर, डॉ. अमित सराफ ने बताया बॉडी में विटामिन डी का स्तर कम होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे अधिकतर समय घर या ऑफिस के अंदर बिताना, प्रदूषण, सनस्क्रीन का इस्तेमाल, और डाइट में विटामिन D युक्त फूड्स का कम सेवन करना। विटामिन D कैल्शियम के अवशोषण, इम्यून बैलेंस और मांसपेशियों की ताकत के लिए जरूरी है। लेकिन लगातार कम स्तर होने पर बॉडी में उसके लक्षण दिखने लगते हैं जैसे
- हड्डियां कमजोर होना
- थकान होना
- गिरने का जोखिम बढ़ना
- बार-बार संक्रमण होना
- मूड में बदलाव होना
- नींद से जुड़ी दिक्कतें होना शामिल है।
डॉ. साराफ ने बताया बॉडी में विटामिन डी का स्तर 12 ng/ml से कम हो तो इस स्तर को गंभीर कमी माना जाता है। समय के साथ ये हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है, ऑस्टियोमलेशिया और डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के लक्षणों को और बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
इन लक्षणों पर तुरंत दें ध्यान
डॉ. साराफ बताते हैं कि बॉडी में विटामिन डी की कमी के शुरुआती संकेत सामान्य लग सकते हैं जैसे
हड्डियों में दर्द और कमजोरी
विटामिन D कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने में मदद करता है। इसकी कमी से हड्डियाँ दर्द करने लगती हैं और आसानी से कमजोर हो जाती हैं।
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
कम स्तर होने पर मांसपेशियों में जकड़न, खिंचाव, भारीपन और रात में क्रैम्प्स हो सकते हैं।
थकान और एनर्जी की कमी
कम विटामिन D शरीर की ऊर्जा बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है। बिना ज्यादा मेहनत के भी जल्दी थकान महसूस होती है।
बार-बार बीमार पड़ना
विटामिन D की कमी इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है। इससे बार-बार सर्दी-जुकाम, गले में इंफेक्शन या वायरल होने लगता है।
बाल झड़ना
कम विटामिन D हेयर फॉलिकल्स को कमजोर करता है, जिससे बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।
मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसा महसूस होना
विटामिन D दिमाग के मूड कंट्रोल हार्मोन को प्रभावित करता है। इसकी कमी से उदासी, चिड़चिड़ापन और लो-मूड रहता है।
घाव देर से भरना
कमी होने पर शरीर की हीलिंग क्षमता धीमी हो जाती है, जिससे चोट या कट जल्दी नहीं भरते।
पीठ दर्द होना
कैल्शियम की कमी और बोन सपोर्ट कम होने से लोअर बैक पेन आम हो जाता है।
VITAMIN D की पूरी रेंज
| विटामिन D स्तर (ng/ml) | स्थिति (Status) |
| < 12 | Severe deficiency (गंभीर कमी) |
| 12–20 | Deficiency (कमी) |
| 20–30 | Insufficient (कम स्तर) |
| 30–50 | Sufficient (सामान्य) |
| > 100 | Toxic (बहुत ज्यादा, खतरनाक) |
विटामिन डी का स्तर 12 ng/ml से कम स्तर होने पर तुरंत क्या करना चाहिए?
बॉडी में विटामिन डी का स्तर 12 ng/ml से कम होने पर आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। यदि हड्डियों में ज्यादा दर्द हो तो कुछ समय के लिए कैल्शियम भी दिया जा सकता है। नियमित फॉलो-अप टेस्ट जरूरी हैं ताकि स्तर न तो बहुत कम रहें, न ही जरूरत से ज्यादा बढ़ें। डॉ. साराफ के अनुसार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच 15–20 मिनट धूप में जरूर बैठें। इसे वॉकिंग के साथ जोड़ लें ताकि यह आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाए। अपने भोजन में विटामिन D-फोर्टिफाइड दूध, दही या सीरियल शामिल करें। नॉन-वेज खाने वालों के लिए अंडे और फैटी फिश फायदेमंद हैं।
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