आज के समय में अधिकतर लोग दिन के 8 से 9 घंटे ऑफिस में बिताते हैं। वहीं, छुट्टी वाले दिन भी ज्यादातर लोग घरों में ही रहना पसंद करते हैं या अगर कहीं बाहर भी जाते हैं, तो इसके लिए शाम का वक्त चुनते हैं। अगर आप भी इन लोगों में से एक हैं, तो बता दें कि आपकी ये आदत आपको एक गंभीर और लाइलाज बीमारी का शिकार बना सकती है। ऐसा हम नहीं, हाल ही में हुए एक शोध के नतीजे बताते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
क्या है ये लाइलाज बीमारी?
दरअसल, हाल ही में जर्मनी में आयोजित यूरोपीय मधुमेह अध्ययन संघ (European Association for the Study of Diabetes (EASD)) की वार्षिक बैठक में एक छोटे से शोध के नतीजे प्रस्तुत किए गए। इन नतीजों का कहना था कि नेचुरल लाइट यानी सूरज की रोशनी टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के इलाज और रोकथाम में मदद कर सकती है। डायबिटीज एक लाइलाज और गंभीर बीमारी है, जो कई कारणों के चलते हो सकती है लेकिन, हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल को डायबिटीज के शुरुआती कारणों में से सबसे अहम बताते हैं।
कैसे होती है टाइप 2 डायबिटीज?
गलत खानपान और शारिरिक गतिविधियों में ढीलापन पैंक्रियाज से निकलने वाले हार्मोन इंसुलिन की मात्रा को कम करने लगता है। इससे शुगर का पाचन सही ढंग से नहीं हो पाता है और शुगर ब्लड में जमा होना शुरू हो जाती है। ऐसे में शख्स टाइप 2 डायबिटीज का शिकार होने लगता है।
वहीं, शोध के मुताबिक, नेचुरल लाइट हमारे शरीर के चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन आजकल ज्यादातर लोग घर के अंदर रहकर कृत्रिम रोशनी यानी बल्ब की रोशनी के संपर्क में रहते हैं। दिन के 8 से 9 घंटे ऑफिस में बिताने या घरों के अंदर ही रहने के चलते वे नेचुरल लाइट के संपर्क में नहीं आ पाते हैं। ऐसे में प्रकाश की कमी से इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है।
क्यों जरूरी है नेचुरल लाइट?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नेचुरल लाइट शरीर के सिर्केडियन रिदम को नियंत्रित करने में मदद करती है, जो हमारे हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है। ऐसे में अगर दिन के वक्त पर्याप्त रोशनी ना मिले, तो टाइप 2 डायबिटीज का खतरा और बढ़ जाता है। जबकि, अगर कोई टाइप-2 मधुमेह रोगी नेचुरल लाइट के नियमित संपर्क में रहे, तो इससे उसके बल्ड शुगर पर बेहतर कंट्रोल रहता है और ऐसे में उसके इलाज में काफी मदद मिल सकती है।
इस बात को साबित करने के लिए 13 डायबिटीज रोगियों को दो अलग-अलग परिस्थितियों में रखा गया। इनमें से आधे लोग तय समय के लिए नेचुरल लाइट तो बाकि कृत्रिम प्रकाश में रहे। इस दौरान दोनों ही समूह में आ रहे बदलावों पर विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया कि कृत्रिम उजाले की तुलना में नेचुरल लाइट के दौरान ब्लड शुगर का स्तर सामान्य सीमा के भीतर था। यानी नेचुरल लाइट ना केवल डायबिटीज होने के खतरे को कम कर सकती है, बल्कि ये टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के उपचार में भी मददगार है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।