डायबिटीज बीते कुछ सालों में एक गंभीर बीमारी बनकर सामने आई है। एक ऐसी बीमारी जिसका कोई इलाज नहीं है। ऐसे में इससे पीड़ित शख्स को ताउम्र दवाइयों के सहारे रहना पड़ता है। साथ ही पीड़ित शख्स की जरा सी भी चूक कई बार उसे अस्पताल तक का रुख करने को मजबूर कर देती है। अधिक परेशान कर देने वाली बात यह है कि इस समय बच्चों में भी डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है और इसके पीछे मां-बाप की लापरवाही अहम कारण है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
इससे पहले आपको बता दें कि डायबिटीज के दो टाइप हैं। टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिक होती है और टाइप 2 डायबिटीज के पीछे खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान अहम कारण बताए जाते हैं। इन कारणों के चलते पेनक्रियाज से निकलने वाले हार्मोन इंसुलिन की मात्रा कम होने लगती है या फिर इंसुलिन का उत्पादन होता तो है लेकिन शरीर ठीक ढंग से उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है। ऐसे में शुगर का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता है और ब्लड में शुगर की मात्रा अनकंट्रोल तरीके से बढ़ने लगती है। इसी स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह कहते हैं। वहीं, इस वक्त खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं।
क्या है कारण?
हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आज के समय में मां-बाप अधिक व्यस्त हो गए हैं, ऐसे में वे बच्चों की सेहत की ओर उतना ध्यान नहीं दे पाते हैं। खासकर स्कूल जाने वाले बच्चे अधिकतर समय बाहर का अनहेल्दी खाना ही खाते हैं। घर से टिफिन ले जाने का चलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और बाहर का पिज्जा, बर्गर, चॉकलेट जैसा अनहेल्दी भोजन कम उम्र के बच्चों का डेली रूनीट बनता जा रहा है।
इसके अलावा बच्चों की शारीरिक गतिविधियां भी बेहद कम हो गई हैं। मां-बाप बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और अकेले घर से बाहर जाने से बच्चों को अधिक खतरा हो सकता है। ऐसे में स्कूल के बाद का ज्यादातर समय या तो वे घर पर सोकर या इंडोर गेम्स खेलकर बीताते हैं।
वहीं, पढ़ाई और हमेशा फर्स्ट आने का प्रेशर बच्चों पर हावी होता जा रहा है। ऐसे में खानपान में गड़बड़ी, बेहद खराब लाइफस्टाइल, तनाव और शारीरिक स्थिरता बच्चों की सेहत पर सीधा असर डालती है। इससे उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
क्या है बचाव का तरीका?
- इस खतरे से बच्चों की हिफाजत के लिए जरूरी है कि आप उनकी डाइट पर खास ध्यान दें।
- बच्चों के आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।
- सर्दी के मौसम में आप साबुत अनाज को उनकी डेली डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
- अगर आप उन्हें बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं, तो बच्चों को रोजाना कम से कम 40 मिनट व्यायाम करने की आदत डालें।
- इसके अलावा समय-समय पर बच्चों से बात करते रहें, ये उन्हें किसी भी तरह के दवाब या तनाव से बाहर आने में मदद करेगा।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।