खराब लाइफस्टाइल के कारण आज के समय में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही कम उम्र के लोगों और बच्चों को भी डायबिटीज अपना शिकार बना रही है। डायबिटीज 2 प्रकार की होती हैं टाइप -1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज। 

टाइप-1 : टाइप-1 डायबिटीज में शरीर के अंदर कम मात्रा में इन्सुलिन बनने लगता है या फिर इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है। इन्सुलिन की कमी के कारण ही डायबिटीज की समस्या होती है हालांकि टाइप-1 डायबिटीज को दवाओं से कंट्रोल  किया जा सकता है।  

टाइप -2 :टाइप-2 में इन्सुलिन बनने की मात्रा बहुत कम हो जाती है या फिर शरीर उसके प्रति संवेदनशील नहीं रहता है इसलिए टाइप-2 डायबिटीज में मरीज को इंजेक्शन के जरिये इन्सुलिन लेने की सलाह दी जाती है।  

अधिकतर टाइप-2 डायबिटीज से ग्रसित मरीजों को इन्सुलिन के इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है ताकि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहे। लेकिन कभी-कभी टाइप-2 में इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन लेने की जरूरत नहीं होती है यह मरीज की सेहत पर भी निर्भर करता है।आज हम बताएंगे कुछ ऐसे ट्रीटमेंट के बारे में जिनसे टाइप-2 के मरीजों को इन्सुलिन लेने की आवश्यकता नहीं होगी।  

अच्छे लाइफस्टाइल से : टाइप-2 से पीड़ित मरीज सही लाइफस्टाइल अपनाकर भी शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं। अच्छे लाइफस्टाइल के लिए डायबिटीज मरीजों को एक अच्छी डाइट की जरूरत  होती है इसके अलावा टाइप-2 मरीजों को रोजाना कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करनी चाहिए और पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए।  ऐसा करने से टाइप-2 मरीज अपने शुगर लेवल बढ़ने से रोक सकते हैं साथ ही इन्सुलिन लेना भी कम कर सकते हैं। 

ओरल मेडिकेशन : टाइप-2 मरीजों के लिए डॉक्टर ओरल मेडिकेशन की भी सलाह देते हैं। ओरल मेडिकेशन के सेवन से मरीज अपना शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं और टाइप-2 डायबिटीज से भी ठीक हो सकते हैं। ओरल मेडिकेशन में ये दवाएं मरीजों को दी जाती हैं। जिसमे अल्फा ग्लूकोसिडेज इनहिबिटर, बिगुआनाइड्स , डीपीपी -4 अवरोधक आदि दवाएं ओरल मेडिकेशन में दी जाती हैं।  

बेरिएट्रिक सर्जरी : जो लोग मोटापे से ग्रसित होते हैं अक्सर डॉक्टर उन्हें टाइप-2 डायबिटीज को कम करने के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी  की सलाह देते हैं।  इस सर्जरी से मरीज अपना मोटापा भी कम कर सकते हैं और साथ ही टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को भी काम कर सकते हैं लेकिन यह सर्जरी मरीज डॉक्टर की सलाह पर ही कराएं।