क्या आप भीड़ में बैठकर भी तन्हा महसूस करते हैं, हर काम को करने की जल्दबाजी रहती है, बेचैनी घबराहट और चिड़चिड़ापन मिजाज का हिस्सा बन गया है तो आप तनाव में है । नौकरी का प्रेशर, रिश्तों में परेशानी, पैसे की चिंता लोगों में तनाव का प्रमुख कारण है। जब आप लंबे समय तक तनाव में रहते हैं तो आपका दिमाग लगातार अलर्ट रहता है। इससे मस्तिष्क में तनाव हार्मोन Cortisol  बढ़ जाता है। तनाव के कारण चिंता की सोच बढ़ जाती है। आप लगातार सोचने लगते हैं कि “अगर कुछ गलत हो गया तो?,मैं ये नहीं कर पाया तो ये नकारात्मक सोच  धीरे-धीरे एंजायटी का रूप ले लेती है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में लगभग 74% लोग स्ट्रेस और लगभग 84% लोग एंजायटी से पीड़ित हैं। और इनमें से ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है कि इससे बचने के लिए उन्हें करना क्या है। तनाव और एंजाइटी के मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। मानसिक लक्षणों की बात करें तो लगातार चिंता रहना,  हर समय किसी न किसी बात को लेकर घबराहट होना, क्या होगा अगर…” जैसी सोच और बार-बार नकारात्मक परिणामों की कल्पना तनाव और एंग्जाइटी के लक्षण है। तनाव बढ़ने के शारीरिक लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे तेज़ धड़कन, सीने में जकड़न या बेचैनी होना, सांस लेने में कठिनाई होना, सांसें तेज चलना,पसीना आना, कंपकंपी या हाथ-पैर कांपना,पेट खराब रहना ,सिरदर्द या गर्दन में तनाव महसूस होना।

आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी ने बताया अगर आपकी भी शारीरिक और मानसिक स्थिति कुछ इसी तरह की हो गई है तो आप दवाओं से नहीं बल्कि नेचुरल तरीके से इस तनाव का इलाज करें। कुदरत ने कुछ जड़ी बूटियां हमें दी है जो तनाव को कंट्रोल करती है और हमारी दिमागी हालत को दुरुस्त करती है। जी हां हम बात कर रहे हैं तुलसी के पत्ते की। एंजायटी और घबराहट सिर्फ कोई छोटी परेशानी नहीं है, ये आपकी नींद,आपके मूड और आपकी सेहत सबको खराब कर देती है। लेकिन आप जानते हैं कि तुलसी का छोटा सा पत्ता आपकी इस मानसिक और शारीरिक स्थिति पर काबू पा सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि तुलसी का पत्ता कैसे स्ट्रेस और एंजाइटी पर कंट्रोल करता है।

तुलसी का पत्ता कैसे स्ट्रेस और एंजाइटी को कंट्रोल करता है?

आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों को क्वीन ऑफ हर्ब्स कहा जाता है। इन पत्तों को क्वीन सिर्फ इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि इससे धार्मिक मान्यताए जुड़ी है बल्कि इसलिए क्योंकि यह साइंटिफिकली एक एडाप्टोजेन है। एडाप्टोजेन का मतलब होता है कि वो हर्ब्स जो कि हमारे स्ट्रेस हार्मोन को बैलेंस में करता हैं। तनाव और एंजाइटी में कॉर्टिसोल नाम का हॉर्मोन बॉडी में बढ़ जाता है जिसे तुलसी के पत्ते बेहद आराम से कंट्रोल कर सकते हैं। तुलसी के पत्ते तनाव कंट्रोल करते हैं इसपर मॉडर्न साइंस भी अपनी मुहर लगा चुकी है।

तुलसी एंजायटी के लिए एक बेहद इफेक्टिव हर्ब है। नेपाल में हुई एक रिसर्च के मुताबिक एंजाइटी  का शिकार लोग अगर कुछ हफ्तों तक रोज तुलसी के पत्तों का सेवन करें तो आसानी से तनाव को कंट्रोल कर सकते हैं और एंजाइटी से बाहर आ सकते हैं।  ऑस्ट्रेलिया की एक स्टडी में यह भी देखा गया कि आठ हफ्तों तक तुलसी का सेवन करने से एंजाइटी के साथ-साथ नींद भी इंप्रूव होती है। मेडिकल साइंस भी मानती है कि तुलसी के पत्ते कार्टिसोल हॉर्मोन को कंट्रोल करते हैं, तनाव और एंजाइटी का इलाज करते हैं।

तनाव कंट्रोल करने के लिए तुलसी का सेवन कैसे करें

  1. अगर आप तनाव और एंजाइटी का इलाज करना चाहते हैं तो आप तुलसी की चाय का सेवन करें। तुलसी की चाय बनाकर उसका सेवन करना सबसे सिंपल और सबसे असरदार तरीका है। आप एक कप पानी को उबाल लीजिए और इसमें 5 से सात फ्रेश तुलसी के पत्ते और थोड़ा सा अदरक और थोड़ी सी दालचीनी को मिलाएं और 5 मिनट तक उबालकर इसका सेवन करें।  इस चाय को पीने के बाद आपका माइंड रिलैक्स हो जाएगा, तनाव और एंजाइटी धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
  2. दूसरा मेथड है तुलसी का काढ़ा बनाकर पीना। अगर आपको तुलसी टी से ज्यादा स्ट्रांग कुछ चाहिए तो तुलसी का काढ़ा आपके लिए बेस्टहै। काढ़ा बनाने के लिए आप तुलसी, अदरक, काली मिर्च और दालचीनी का सेवन करें। इसे बनाने के लिए आप दो कप पानी लीजिए। इसमें 10 से 12 ताजे तुलसी के पत्ते डालिए। 1 इंच का थोड़ा सा अदरक का टुकड़ा कटा हुआ या कुचलकर डाल दीजिए। एक छोटी सी स्टिक दालचीनी की इसमें मिलाइए। अगर चाहें तो एक चुटकी काली मिर्च भी आप इसमें डाल सकते हैं।  इसे मीडियम आंच पर करीब 10 मिनट तक अच्छी तरह से उबलने दीजिए। 10 मिनट उबालने के बाद आप गैस को बंद कर दीजिए और काढ़े को छलनी से छानकर उसका सेवन करें।
  3. आप तुलसी के 10-12 पत्तों को सीधे चबा भी सकते हैं। तुलसी के पत्ते आपके तनाव को कम करेंगे आपके दिमाग को शांत करेंगे और आपकी शारीरिक स्थिति में भी सुधार करेंगे।

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