Ayurvedic Remedies: आज भी कई लोग हैं जो बीमारियों से निजात पाने में आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लेते हैं। इनके इस्तेमाल से साइड इफेक्ट का खतरा बेहद कम हो जाता है। इन्हीं उपायों में से एक है त्रिफला जो कई स्वास्थ्य फायदों के लिए जाना जाता है। भारतीय परंपरा में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां का इस्तेमाल सदियों से कई तरह की गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। त्रिफला एक जड़ी-बूटी है, जो शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने का काम करती है।
पेट से लेकर दांत संबंधी दिक्कतों को दूर करने में इसका इस्तेमाल प्रभावी साबित होता है। इसे लोग काढ़ा, चूर्ण या फिर सप्लीमेंट के रूप में सेवन कर सकते हैं। त्रिफला यानी तीन फलों से बना हुआ है। ये अमलकी यानी आंवला, बिभीतक मतलब बहेड़ा और हरितकी के बीज को निकालकर बनाया जाता है। इसमें कई औषधीय तत्व मौजूद होते हैं जिस कारण इसे पॉली हर्बल मेडिसिन भी कहा जाता है।
वजन घटाने में है प्रभावी: त्रिफला को एक शक्तिशाली डिटॉक्सिफाइर माना जाता है जो शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को दूर करने में सहायक है। ये कोलन को ताकत प्रदान करता है जिससे पाचन मजबूत होता है और कब्ज या फिर मोटापे को दूर करने में मददगार है।
कैंसर का खतरा होगा कम: एक शोध के मुताबिक ये आयुर्वेदिक मिश्रण कैंसर सेल्स को विकसित होने से रोकते हैं। त्रिफला में मौजूद तत्व लिम्फोमा के ग्रोथ को रोकने के साथ ही पेट और पैंक्रियाटिक कैंसर के खतरे को भी कम करते हैं। त्रिफला में गैलिक एसिड और पॉलीफेनॉल्स जैसे शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो कैंसर से लड़ने में सहायक हैं।
कम होगी सूजन की समस्या: त्रिफला में कई एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर में मौजूद फ्री रैडिकल्स के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है। इससे सूजन कम करने में मदद मिलती है। नियमित रूप से इसे खाने से हृदय रोग, डायबिटीज, गठिया, बालों के सफेद होने जैसी परेशानियां कम होती हैं।
दांतों की परेशानी होगी कम: त्रिफला में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेट्री तत्व होते हैं जो दांतों को कई परेशानियों से दूर रखते हैं। इससे प्लेक जमा होने का खतरा कम होता है, साथ ही दांतों की सड़न और कैविटीज की परेशानी भी कम देखने को मिलती है। एक रिसर्च के अनुसार त्रिफला से कुल्ला करने पर फंगल इंफेक्शन भी नहीं होता।