वायु प्रदूषण से हरेक वित्तीय वर्ष में भारतीय व्यापार जगत को करीब 95 बिलियन अमेरिकी डॉलर (सात लाख करोड़) का नुकसान उठाना पड़ता है, जो भारत की कुल जीडीपी का करीब तीन फीसद है। यह नुकसान सालाना कर संग्रह के 50 फीसद के बराबर है या भारत के स्वास्थ्य बजट का डेढ़ गुना है। डलबर्ग एडवाइजर्स ने यह रिपोर्ट क्लीन एअर फंड और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के सहयोग से तैयार किया है।
यह रिपोर्ट वायु प्रदूषण के भारी आर्थिक नुकसान के साथ-साथ स्वास्थ्य पर इसके विनाशकारी प्रभावों को सामने रखते हुए वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल सक्रिय होने पर जोर देता है। भारत में प्रदूषण से व्यापार को होने वाले नुकसान का अनुमान लगाने वाली यह पहली रिपोर्ट आई है। इसका उद्देश्य कंपनियों और नीति निर्माताओं को स्वच्छ वायु का सक्रिय समर्थक बनने के लिए प्रेरित करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कामगार अपने स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों के कारण प्रति वर्ष 130 करोड़ (1.3 बिलियन) कार्यदिवसों की छुट्टी लेते हैं, जिससे छह बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व का नुकसान होता है। वायु प्रदूषण का श्रमिकों के मस्तिष्क और शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी उत्पादकता कम हो जाती है और इससे व्यापार राजस्व 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक घटता है।
वायु की निम्न गुणवत्ता भी उपभोक्ताओं की अपने घरों से बाहर निकलने की इच्छा को कम करती है, जिससे बाजार में उपभोक्ताओं की पहुंच घटती है और अंतत: सीधे उपभोक्ता से जुड़े व्यवसायों को 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व का घाटा होता है। वर्ष 2019 में भारत में वायु प्रदूषण से 17 लाख लोगों की अकाल मृत्यु हुई जो कि उस वर्ष भारत में हुई सभी मौतों का 18 फीसद थी। 2030 तक इस आंकड़े के और बढ़ने की आशंका है, जिससे भारत उन प्रमुख देशों में शामिल हो जाएगा, जहां समय पूर्व मृत्यु दर से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है।
डलबर्ग के निदेशक (एशिया) गौरव गुप्ता के मुताबिक, स्वच्छ वायु व्यवसायों के फलने-फूलने और 2025 तक भारत के पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की परिकल्पना के सच होने की पूर्व शर्त है। इस लक्ष्य को पाने के लिए अग्रणी उद्योगपतियों को स्वच्छ वायु आंदोलन से खुद को और ज्यादा जोड़ना होगा और इसकी पैरवी करनी होगी। सीआइआइ की उप महानिदेशक सीमा अरोड़ा के मुताबिक, विशिष्ट व्यवसायों और उनके कर्मचारियों की वायु गुणवत्ता सुधारने में प्रत्यक्ष भूमिका है। इस सिलसिले में बहुत कुछ विचार करने की आवश्यकता है।
भारत में यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इस रिपोर्ट में तीन प्राथमिक तरीकों से भारतीय व्यवसायों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का आकलन किया गया है। विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं और कंपनियों पर प्रदूषण के प्रभावों पर मौजूदा शोध का संकलन किया गया है और भारतीय संदर्भ में इसका विश्लेषण किया गया। व्यापक डेटा (मैक्रो) विश्लेषण किया गया। संकेतकों में स्वास्थ्य में गिरावट और वायु प्रदूषण से बचने के लिए व्यक्ति विशेष की गतिविधि में कमी मुख्य रूप से शामिल हैं। सूचना प्रौद्योगिकी और पर्यटन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विशिष्ट क्षेत्रों व शहरों में वायु प्रदूषण के प्रभाव का समग्रता से अध्ययन किया गया है।
आइटी क्षेत्र का हाल
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र, जो देश के जीडीपी में नौ फीसद का योगदान देता है और विदेशी निवेश आकर्षित करने का अहम क्षेत्र है- वह भी प्रभावित होता है। प्रदूषण के कारण उत्पादकता कम होने के कारण प्रति वर्ष 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाता है। भारत पिछले दशक में दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बन गया है और दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में है। भारत का मीडीअन ऐज 2019 के 27 वर्ष से बढ़कर 2030 हो जाएगा, इससे वायु प्रदूषण के खतरे बढ़ेंगे।