यूरिक एसिड एक तरह का केमिकल है, जो सबसे ज्यादा जोड़ों को प्रभावित करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 30 साल की उम्र के बाद शरीर में अचानक से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने की संभावना बनने लगती है, ऐसे में लोगों को अपना नियमित रूप से चेकअप करवाना चाहिए। बॉडी में प्यूरीन नामक प्रोटीन के ब्रेकडाउन से यूरिक एसिड बनता है। यह केमिकल, शरीर के लिए एक वेस्ट प्रोडक्ट की तरह होता है।

वैसे तो अधिकतर यूरिक एसिड किडनी द्वारा फिल्टर होने के बाद शरीर से फ्लश आउट हो जाता है, लेकिन जब खून में इसका स्तर बढ़ने लगता है तो यह क्रिस्टल्स के रूप में टूटकर हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगता है। यूरिक एसिड के कारण ना केवल जोड़ों में दर्द, सूजन, चलने-फिरने और उठने-बैठने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं, बल्कि इनके अलावा किडनी फेलियर और हार्ट अटैक की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आपको जोड़ों में दर्द, सूजन और लालिमा जैसी समस्याएं महसूस हो रही हैं तो इन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक कुछ आयुर्वेदिक उपायों के जरिए शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को काबू में किया जा सकता है। आइये जानते हैं-

काली किशमिश: काली किशमिश एक तरह का ड्राई फ्रूट है, लेकिन यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने में मदद करती है। काली किशमिश को हड्डियों के घनत्व के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में हाई यूरिक एसिड की परेशानी से जूझ रहे लोगों को रोजाना सुबह उठकर काली किशमिश का सेवन करना चाहिए, इससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलेगी। इसके लिए रात में 10-15 किशमिश को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और फिर सुबह उठकर इनका सेवन करें।

मुस्ता: मुस्ता एक तरह की जड़ी-बूटी है, जो यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल करने में प्रभावी मानी जाता है। इसके लिए मुस्ता के दरदरे पाउडर को एक गिलास पानी में रातभर के लिए भिगोकर रख दें। फिर सुबह इस पानी को उबला लें। जब यह हल्का गुनगुना रह जाए तो इसे छानकर, पानी का सेवन करें।

गुग्गुल: हड्डियों से जुड़ी समस्याओं के लिए गुग्गुल बेहद ही फायदेमंद है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसे दर्द निवारक जड़ी-बूटी माना जाता है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा गुग्गुल हाई यूरिक एसिड के स्तर को भी काबू में करता है।