क्या आपको भी मिनटों की दूरी तय करने में घंटों लगते हैं? सीढ़िया चढ़ना पहाड़ चढ़ने जैसा लगता है, पैरों में हमेशा झनझनाहट रहती है तो ये उम्र बढ़ने का असर नहीं बल्कि आपकी बॉडी में होने वाली पोषक तत्वो की कमी है जो आपके पैरों को कमजोर बना रही है। खान पान और लाइफस्टाइल में खराबी का असर आपके पैरों की हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा रहा है। पहले जिन पैरों पर आप घंटों चल लेते थे, अब कुछ मिनटों में ही थक जाते हैं इसके लिए आपकी कुछ खराब आदतें जिम्मेदार हैं जो आपके पैरों को कमजोर बना रही है। अगर समय रहते इन्हें नहीं छोड़ा गया तो ये आदतें धीरे-धीरे आपके पैरों की सारी ताकत छीन लेंगी। आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी 5 आदते हैं जो आपके पैरों को कमजोर और हड्डियों को खोखला बना रही हैं।
पहली गलत आदत है ज्यादा देर तक बैठना
भारत में ज्यादातर लोग टीवी के सामने या कुर्सी पर घंटों बिता हैं जो हड्डियों के लिए घातक है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के मुताबिक 30 मिनट से ज्यादा लगातार बैठने से पैरों में ब्लड सर्कुलेशन घटने लगता है, जिससे मांसपेशियों को ऑक्सीजन कम मिलती है। आधा घंटे बैठने से नसें जाम होती हैं और धीरे-धीरे पैरों की ताकत खत्म होने लगती है। लंबे समय तक बैठना वैसा ही है जैसे पेड़ की जड़ों को पानी देना बंद कर देना। इसलिए हर 30 मिनट में उठिए, थोड़ा चलिए, टखनों को घुमाइए और पंजों को ऊपर-नीचे कीजिए, यह छोटा-छोटा मूवमेंट पैरों में नया खून दौड़ाती हैं।
दूसरी गलती सफेद चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना
ज्यादा मीठा और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से नसों की दीवारें धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। AIIMS और ICMR के शोध बताते हैं कि सफेद चीनी और मैदा शरीर में ग्लाइकोन नामक प्रक्रिया को बढ़ाते हैं, जिससे ब्लड वेसल्स सख्त हो जाती हैं और पैर के टिश्यू तक ब्लड नहीं पहुंच पाता। यह डायबिटिक न्यूरोपैथी की जड़ है। धीरे-धीरे पैरों की संवेदनशीलता खत्म होती है, दर्द, जलन और झनझनाहट बढ़ती है। अगर आप अपने पैरों को चलने लायक रखना चाहते हैं तो सफेद चीनी और बेकरी प्रोडक्ट्स तुरंत बंद करें और इसके बजाय गुड़, शहद या स्टीविया जैसी प्राकृतिक मिठास अपनाएं।
तीसरी गलती पानी कम पीना है
नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया के अनुसार उम्र बढ़ने के बाद शरीर का ब्लड वॉल्यूम कम होने लगता है। अगर पानी नहीं पिएंगे तो खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे पैरों की नसों में जाम लगने लगता है। यही जाम बाद में सूजन, ऐंठन और थकान बन जाता है। पानी सिर्फ प्यास बुझाने के लिए नहीं है, यह आपकी नसों को खुला रखने का सबसे सस्ता इलाज है। सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुना पानी, दोपहर में नींबू वाला पानी और रात को हल्का गुनगुना पानी पैरों में नई जान डालता है।
चौथी गलती प्रोटीन की कमी।
NIH और हार्वर्ड हेल्थ की रिसर्च बताती हैं कि 60 की उम्र के बाद शरीर हर साल औसतन 2% मांसपेशियां लॉस होती है। अगर प्रोटीन की कमी हो तो मांसपेशियां गलने की रफ्तार दोगुनी हो जाती है। प्रोटीन सिर्फ बॉडी बिल्डरों के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए जरूरी है जो चलना चाहता है। हर दिन कम से कम 8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो वजन जरूर लें। दाल, मूंग, चना, सोया, पनीर, अंडा या मछली का सेवन डाइट में रोज करें तो बॉडी में प्रोटीन की कमी पूरी होगी। प्रोटीन ही वो ईंधन है जिससे आपकी मांसपेशियां दोबारा मजबूत बन सकती हैं। प्रोटीन के साथ ही विटामिन डी और बी 12 की कमी होना भी पैरों की कमजोरी के लिए जिम्मेदार है।
पांचवीं गलती देर रात तक जागना
नींद सिर्फ दिमाग के लिए नहीं, पैरों की रिपेयरिंग लैब भी है। जब आप सोते हैं तो शरीर ग्रोथ हार्मोन छोड़ता है जो मांसपेशियों और टिश्यू की मरम्मत करता है। AIIMS की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि जिन बुजुर्गों की नींद 6 घंटे से कम होती है, उनमें मसल्स वीकनेस का खतरा 40% तक बढ़ जाता है। नींद से समझौता यानी पैरों से समझौता। रात 10 बजे तक सोने की आदत डालें और सोने से पहले पैर गर्म पानी में 10 मिनट डुबोकर रखें। इससे ब्लड फ्लो बढ़ेगा, नींद गहरी आएगी और थकान मिटेगी।
फास्टिंग से लेकर खाने के बाद की शुगर हाई रहती है तो लंच और डिनर में इन 5 सब्जियों को खाएं, इंसुलिन का होगा तेजी से निर्माण, डायबिटीज रहेगी नॉर्मल। पूरी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।
