जेस्टेशनल डायबिटीज महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ये बीमारी आमतौर पर दूसरी या तीसरी तिमाही में होती है। यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होती है जो इंसुलिन के उत्पादन और उपयोग को प्रभावित कर सकती है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद करता है। जब इंसुलिन के उत्पादन या उपयोग में कोई समस्या होती है तो यह ब्लड में शुगर के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होती है उनमें गर्भावस्था और प्रसव के दौरान प्रीक्लेम्पसिया जैसी जटिलताओं के विकसित होने का खतरा रहता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होती है,जिसकी वजह से जरूरी अंगों जैसे किडनी और लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। इस डायबिटीज की वजह से समय से पहले प्रसव का जोखिम बढ़ सकता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण बच्चे का वजन अधिक हो सकता है, जो प्रसव संबंधी जटिलताओं जैसे शोल्डर डिस्टोसिया (जब बच्चे का कंधा प्रसव के दौरान अटक जाता है) या सिजेरियन डिलीवरी का कारण बन सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखें। इस दौरान डाइट का ध्यान रखा जाए तो आसानी से इस परेशानी को टाला जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ खास फूड्स का सेवन करके इस डायबिटीज से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे फूड्स हैं जो जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे से बचा सकते हैं।

बिना स्टार्च वाली सब्जियां खाएं:

प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। कुछ खास सब्जियां जैसे ब्रोकोली, गाजर, और शिमला मिर्च में फाइबर और आवश्यक विटामिन और खनिज उच्च मात्रा में होते हैं। कम कैलोरी की ये सब्जियां ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैं।

साबुत अनाज का करें सेवन:

प्रेग्नेंसी के दौरान साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ और पूरी गेहूं की रोटी पर स्विच करने से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है और प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम करता है। फाइबर से भरपूर साबुत अनाज बॉडी को एनर्जी देते हैं और जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे से भी बचाते हैं।

प्रोटीन रिच डाइट लें:

प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोटीन रिच फूड्स का सेवन करके ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखा जा सकता है। अच्छे प्रोटीन स्रोतों में लीन मीट, मछली, पोल्ट्री, अंडे, बीन्स और फलियां शामिल हैं।

कम वसा वाले डेयरी फूड्स का करें सेवन:

दूध, दही और पनीर जैसे कम वसा वाले डेयरी उत्पाद कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। ये इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकते हैं।

सीजनल फलों का करें सेवन:

फलों में नेचुरल शुगर मौजूद होती है, लेकिन ये फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। गर्भवती महिलाओं को फलों के जूस या प्रोसेस फ्रूट्स के स्नैक्स का सेवन करने के बजाय ताजे फलों का सेवन करें।