आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान से लेकर लाइफस्टाइल में पूरी तरह से बदलाव हो गया है, जिसके चलते ही कम उम्र में ही लोग कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। आजकल घुटनों में दर्द और जॉइंट्स की समस्या सिर्फ उम्रदराज लोगों में ही नहीं, बल्कि 30 से 40 की उम्र की महिलाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। लंबे समय तक बैठकर काम करना, वजन बढ़ना, गर्भावस्था के बाद शरीर में बदलाव और पोषण की कमी आदि। ये सभी कारण धीरे-धीरे घुटनों की सेहत को प्रभावित करते हैं। कई बार महिलाएं शुरुआती संकेतों को कमजोरी या सामान्य दर्द समझकर नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे आगे चलकर गंभीर आर्थराइटिस या घुटने बदलवाने की नौबत आ सकती है।
AIIMS रायपुर के ऑर्थोपेडिक और स्पोर्ट्स इंजरी सर्जन डॉ. दुष्यंत चौहान ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि यह समस्या एक साइलेंट प्रॉब्लम की तरह धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन समय रहते ध्यान देने पर इसे रोका जा सकता है। डॉ. चौहान के मुताबिक, वो सिर्फ 38 साल की थी… कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ, कोई बड़ी चोट नहीं लगी। फिर भी हर सुबह जब वह बिस्तर से उठती, तो घुटनों में जकड़न महसूस होती। सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो गया और जमीन पर पालथी मारकर बैठना लगभग असंभव। उनके मुताबिक, परिवार वालों ने इसे कमजोरी या कैल्शियम की कमी समझा, लेकिन सच्चाई कुछ और थी। उनके घुटनों का कार्टिलेज धीरे-धीरे घिस रहा था। यह एक ऐसा साइलेंट प्रॉब्लम, जो महिलाओं में उनकी सोच से कहीं पहले शुरू हो जाता है।
शुरुआती लक्षण
डॉ. चौहान के अनुसार, घुटनों के नुकसान के शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य लगते हैं, लेकिन यही आर्थराइटिस की शुरुआत हो सकते हैं। सुबह उठते समय घुटनों में जकड़न, सुबह के समय पैरों को मोड़ने या चलने में कठिनाई महसूस होना इसका शुरुआती संकेत है। जकड़न कुछ मिनटों तक रहती है और धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन बार-बार होना खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा सीढ़ियां चढ़ते समय या उतरते समय दर्द होना और फर्श पर बैठने या पालथी मारने में कठिनाई आदि की समस्या होना।
क्यों महिलाओं में जल्दी शुरू होती है जॉइंट्स की कमजोरी
महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डियों और कार्टिलेज की सुरक्षा में मदद करता है, लेकिन उम्र बढ़ने या मेनोपॉज के बाद यह हार्मोन घटने लगता है, जिससे हड्डियों की घनत्व कम हो जाती है। इसके अलावा गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान कैल्शियम की कमी, ज्यादा समय तक खड़े रहना, गलत फुटवियर और व्यायाम की कमी भी घुटनों पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।
कैसे करें बचाव
डॉ. चौहान के मुताबिक, महिलाओं को अगर शुरुआती लक्षण दिखें तो तुरंत रोकथाम के कदम उठाए, ताकि भविष्य में सर्जरी की जरूरत न पड़े। इसके साथ ही वजन को कंट्रोल रखें, हर 1 किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर 4 किलो का दबाव डालता है। कैल्शियम और विटामिन D युक्त आहार लें, जैसे दूध, दही, बादाम, तिल, सूरज की धूप शामिल करें। नियमित एक्सरसाइज करें वॉकिंग, योग, साइक्लिंग और स्विमिंग से जॉइंट्स लचीले बने रहते हैं। इसके अलावा लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठें, हर घंटे कुछ कदम चलना घुटनों के लिए फायदेमंद है।
इसके अलावा सुबह उठते ही कुछ लक्षण दिखाई देने पर भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक हो जाती है, इन साइन को भी इग्नोर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।