वजाइना में टीबी महिलाओं में होने वाली ऐसी बीमारी है जो वजाइना, मलाशय की स्किन और श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करती है। जेनिटल ट्यूबरकुलोसिस वजाइना में फैलोपियन ट्यूब को संक्रमित करने से शुरू होती है। यह अंडाशय द्वारा छोड़े गए अंडे को गर्भ तक नहीं पहुंचने देती और इसलिए अंडा निषेचित नहीं होता है। इस परेशानी की वजह से महिलाओं को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है। वजाइना में टीबी की बीमारी महिलाओं में बांझपन का कारण बनती है। जेनाइटल ट्यूबरक्यूलोसिस की वजह से महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने में दिक्कत होती है।
बिरला फर्टिलिटी एंड आईविएफ में इंफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ प्राची बनारा के मुताबिक जिन महिलाओं को वजाइना में टीबी की शिकायत होती है उन्हें शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। वजाइना में टीबी होने से वजाइना के आसपास की स्किन में सूजन और रेडनेस हो सकती है और दर्द महसूस होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर ब्लड सर्कुलेशन में कीटाणुओं की संख्या जयादा है तो आपको बुखार आ सकता है,ठंड लग सकती है,वजन तेजी से कम हो सकता है,थकान और मांसपेशियों में दर्द की शिकायक हो सकती है। अगर लम्बे समय तक टीबी का इलाज नहीं किया जाए तो फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है। आइए जानते हैं कि इस बीमारी के फैलने का क्या कारण हैं और उससे बचाव कैसे किया जाए।
फीमेल जेनाइटल ट्यूबरक्यूलोसिस के कारण कौन-कौन से हैं?
जननांग ट्यूबरकुलोसिस होने के कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में ओवरी से जुड़े फैलोपियन ट्यूब, बच्चेदानी के मुहं और वजाइना से यह संक्रमण फैलता है। ज्यादातर मामलों में महिलाओं को ये संक्रमण बच्चा पैदा करते समय होता है। ये इंफेक्शन शारीरिक संबंध बनाने से भी फैल सकता है, क्योंकि बैक्टीरिया शरीर के तरल पदार्थ और रक्त में मौजूद होते हैं। संक्रामिक व्यक्ति के संपर्क में आने से,खांसने और छींकने से,फेफड़ों से टीबी के जीवाणुओं का प्राइवेट पार्ट्स तक पहुंचने से,इम्यूनिटी कमजोर होने से इन्फेक्शन की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है।
फीमेल जेनाइटल ट्यूबरक्यूलोसिस के लक्षण कौन-कौन से हैं?
- गर्भ धारण करने में परेशानी होना
- हर वक्त थकान और बुखार रहना
- पेट में दर्द और पेट में भारीपन महसूस होना।
- वजाइनल डिस्चार्ज अधिक होना
- इर्रेगुलर पीरियड होना महिलाओं में होने वाली टीबी के मुख्य लक्षण हैं।
टीबी का उपचार कैसे करें:
- टीबी की बीमारी का इलाज 6 से 8 महीनों तक चलता है। डॉक्टर इस बीमारी का उपचार मल्टी-ड्रग एंटी-ट्यूबरकुलर मेडिकल थेरेपी से कराने का सुझाव देते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी के मरीजों को 6 महीने के लिए रिफैंपिसिन, एथमबुटोल ओर पाइराजिनामाइड दी जाती है।
- इसके अलावा इलाज में कई ड्रग थेरेपी शामिल हैं।
- कॉम्बिनेशन थेरेपी का 6- 9 महीने का कोर्स इस बीमारी का प्रभावी उपचार है।