UPSC Aspirants Mental Health: हम सभी जानते हैं कि कामयाबी हासिल करने के लिए सख्त मेहनत और लगन की बेहद जरूरत होती है, लेकिन हमारे बच्चे ये किस तरह की कामयाबी हासिल करना चाहते हैं जो उन्हें अंधेरे और अकेलेपन की तरफ ले जा रही है। हमारे देश में UPSC स्टूडेंट सफलता की चाहत में अंधकार में डूबे जा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने के कारण 3 यूपीएससी उम्मीदवारों की मौत हो गई। स्टूडेंट की मौत की इस घटना ने हमारा ध्यान उन छात्रों की तरफ फोकस किया जो पढ़ाई करते-करते, सफलता की चाहत रखते-रखते अंधकार और अकेलेपन का शिकार हो गए हैं। जी हां छात्रों के अंधकार में जाने की बात हम नहीं कह रहे हैं कि बल्कि एस सर्वे में ये बात साबित हुई है। 

यूपीएससी छात्रों पर सफल होने का लगातार दबाव उनमें तनाव और अकेलापन पैदा कर रहा है। सर्वे में छात्रों से उनके खराब प्रदर्शन के डर के अनुभवों के बारे में पूछा गया जिसमें 10 में से छह उम्मीदवारों ने अकेलेपन की भावना पैदा होने की बात कबूल की है। जबकि 10 में से सात ने खुद में तनाव का अनुभव किया। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पढ़ाई ने तनाव और अकेलापन क्यों और कैसे पैदा कर दिया। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें यूपीएससी के स्टूडेंट एकेडमिक प्रेशर को झेल नहीं पाते हैं और अपनी जिंदगी को खत्म कर लेते हैं। 10-12 घंटों की पढ़ाई उनके दिमाग को कुंद कर देती है और वो कुछ भी उससे हट कर सोच नहीं पाते हैं।

यूपीएससी के छात्रों पर तीन तरह का दबाव होता है

  • फैमिली का दबाव
  • दोस्त और साथी को देखकर पैदा होने वाला दबाव
  • सेल्फ प्रेशर

इन तीन तरह का दबाव बच्चे में तनाव को बढ़ाता रहता है। बढ़ता तनाव ही बच्चों में अकेलापन, नकामयाबी का डर बढ़ाता रहता है। बच्चों की सोशल लाइफ खत्म हो जाती है और फैमिली से भी नाता कम ही होता है। इस तैयारी की तैयारी में बच्चा पढ़-लिखकर दिमागदार तो बनता है लेकिन सेल्फ कॉन्फिडेंस जीरो हो जाता है। आइए जानते हैं कि इस तनाव को बच्चे कैसे पहचाने और उससे बचने के लिए क्या करें।

तनाव क्या है?

जैविक रूप से शरीर में किसी चीज के प्रति प्रतिक्रिया के फलस्वरूप जो बदलाव आते हैं उसे तनाव कहा जा सकता है। आमतौर पर तनाव के दौरान शरीर के अंदर कई तरह के हार्मोन जैसे कि एड्रीनेलीन, कॉर्टिसोल और नोरेड्रिनेलिन रिलीज होते हैं। ये हार्मोन शरीर में कई तरह से हलचल मचा देते हैं। तनाव कई वजहों से आ सकता है। यह पर्यावरण के कारण भी आ सकता है, शरीर में परेशानी के कारण आ सका और यहां तक अपनी सोच के कारण भी आ सकता है।

तनाव के कारण

  • ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से हम तनाव में आते हैं। हर इंसान के पास तनाव की अलग-अलग वजह हैं। रिसर्च के मुताबिक काम से संबंधित तनाव, स्ट्रेस के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। तनाव कई तरह का होता है जैसे
  • वैवाहिक मुद्दे
  • बेरोजगारी
  • हेल्थप्रोब्ल
  • काम का दबाव
  • नकामयाबी का डर
  • दर्दनाक घटनाएं
  • खराब मानसिक हेल्थ</li>
  • पैसे से जुड़ी समस्याएं
  • लंबे काम के घंटे तनाव का कारण बनते हैं।

तनाव के लक्षण कौन-कौन से हैं?

चिंता, अनिद्रा, चक्कर आना, सिर दर्द, अवसाद, भार बढ़ना,हाई ब्लड प्रेशर,दिल की बीमारी,तेज धड़कन,सांस लेने में कठिनाई,तनाव,याददाश्त कमजोर होना और एकाग्रता से जुड़ी समस्याएं तनाव के लक्षण है।

तनाव से इस तरह आएं बाहर

  • वेबएमडी की खबर के मुताबिक तनाव से बाहर आना चाहते हैं तो सोशल गैदरिंग बढ़ाएं। लोगों से ज्यादा मिलें, ज्यादा बात करें, अकेले नहीं रहें, दोस्तों के साथ वक्त गुजारें। सोशल गैदरिंग तनाव का दवा से बड़ा इलाज है।
  • भरपूर नींद लें। नींद की कमी तनाव को बढ़ाती है। अगर आप रात में 7-8 घंटे की नींद लेते हैं तो आपका तनाव कम होता है और आपकी फिजिकल हेल्थ दुरुस्त रहती है।
  • मोबाइल से कम दोस्ती रखें। हर वक्त मोबाइल पर लगे रहने से आपका लोगों से संपर्क टूट जाता है। आप मोबाइल पर खुद को फोकस नहीं करें इस तरह तनाव बढ़ता है।
  • अनहेल्दी हैबिट्स भी तनाव को बढ़ाती हैं। बहुत ज्यादा कैफीन, शराब और धूम्रपान करने की आदत आपको अंधेरे में धकेल देगी। इन आदतों को तुरंत बदलें।
  • हंसे और खुश रहने की कोशिश करें। कमेडी फिल्में देखें।
  • योग और एक्सरसाइज बेहद असरदार हैं। दिन भर में 40 मिनट की वॉक करें।
  • संगीत सुने और खुद को उसमें मसरूफ रखें।