सोमवार (13 अगस्त, 2018) को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और 10 बार सांसद रहे सोमनाथ चटर्जी का कोलकाता में निधन हो गया है। 89 वर्षीय सोमनाथ चटर्जी काफी समय से बीमार चल रहे थे, उन्हें 8 अगस्त को अस्तपताल में भर्ती कराया गया था। अधिकारी के मुताबिक, पिछले 40 दिनों से चटर्जी का उपचार चल रहा था। स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी, लेकिन मंगलवार को हालत बिगड़ने के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। रविवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और सोमवार को कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया। आइए जानते हैं क्या है कार्डियक अरेस्ट।
कार्डियक अरेस्ट क्या है: कार्डियक अरेस्ट में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। ऐसी स्थिति को arrhythmia कहते हैं। दरअसल जब दिल धड़कता है तो उससे वैद्युत संवेग पैदा होता है, जिसकी मदद से शरीर में रक्त का संचार होता है। धड़कन अनियंत्रित होने पर शरीर में रक्त का संचार कभी तेजी से होता है तो कभी धीमी गति से, ऐसे में शरीर के बाकी हिस्सों जैसे कि फेंफड़े और दिमाग आदि पर असर पड़ता है। इसके रुकने पर व्यक्ति का उसके दिमाग पर जोर नहीं रहता और वह व्यक्ति चेतना खो देता है और उसकी नब्ज बंद हो जाती है। अगर मरीज को तुरंत इलाज न मिले तो उसकी मौत हो जाती है।
कब होता है कार्डियक अरेस्ट का सबसे ज्यादा जोखिम: अरेस्ट दिल का दौरा पड़ने के बाद या उसके इलाज के दौरान हो सकता है। दिल का दौरा अचानक होने वाले कार्डियक अरेस्ट का जोखिम बढ़ा देता है। ज्यादातर मामलों में दिला का दौरा पड़ने पर अचानक होने वाला कार्डियक अरेस्ट नहीं होता है। लेकिन जब कार्डियक अरेस्ट होता है तो इसके पीछ दिल का दौरा आम कारण होता है। दिल की दूसरी खराबियां भी कार्डियक अरेस्ट के लिए वजह बन सकती हैं। इनमें दिल की मांस-पेशियों का मोटा हो जाना (कार्डियोमायोपैथी), दिल का बंद होना, खून में ज्यादा मात्रा में फाइब्रोनिजन का पाया जाना, और लंबे समय तक क्यू-टी सिंड्रोम रहना शामिल हैं। क्यू-टी सिंड्रोम में भी दिल की धड़कन कभी तेज तो कभी धीमी पड़ जाती है।
कार्डियक अरेस्ट से बचाव के तरीके: Mayo Clinic की रिपोर्ट के अनुसार इन हालातों में बचाव के लिए सबसे पहले देखना चाहिए कि मरीज सही से सांस ले पा रहा है या नहीं, अगर नहीं ले पा रहा है तो ‘सीपीआर’ प्रणाली पर काम करना चाहिए, इसके तहत मरीज के सीने पर हाथों से दबाव दिया जाता है। मरीज के सीने को एक मिनट के भीतर 100 से 120 बार तक दबाना चाहिए। हर 30 बार दबाने के बाद उसकी सांस को जांच लेना चाहिए। बिना देर किए मिनटों मे किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके लिए इमरजेंसी नंबर पर कॉल करके एंबुलेंस को भी बुलाया जा सकता है।