Social Distancing: कोरोना वायरस का बढ़ता प्रकोप पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। भारत में भी इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। देश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 5 लाख के पार पहुंच चुकी है। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज ढूंढ़ने में जुटे हुए हैं। हालांकि, तमाम कोशिशों के बाद भी इस खतरनाक वायरस का कोई पुख्ता ट्रीटमेंट सामने नहीं आ पाया है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मास्क का उपयोग ही इस समय कोरोना वायरस के कहर से लोगों को बचा सकता है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं, ऐसे में कई लोगों को ये उलझन है कि बचाव के लिए दूसरों से कितनी दूरी बनाई रखनी चाहिए। आइए जानते हैं-
किसने की थी सोशल डिस्टेंसिंग की खोज: कोरोना काल में जिन शब्दों का सबसे अधिक इस्तेमाल हुआ है उनमें से एक है सोशल डिस्टेंसिंग। साल 1930 के करीब में शोधकर्ता विलियम एफ वेल्स ने इस टर्म की खोज की थी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से टीबी जैसे संक्रामक बीमारियों पर शोध कर रहे विलियम इस नतीजे पर पहुंचे थे कि मुंह से निकलने वाले इंफेक्टेड ड्रॉपलेट्स एक से दो मीटर के अंतर्गत ही गिरते हैं।
ब्रिटेन ने कम किया दायरा: इंग्लैंड में ये घोषणा की गई है आने वाले महीने की 4 तारीख यानि कि 4 जुलाई से सोशल डिस्टेंसिंग में ढ़ील दी जाएगी। पहले जहां इस देश में सामाजिक दूरी का दायरा 2 मीटर तय किया गया था, वहीं अब इसे घटाकर 1 मीटर कर दिया गया है।
अन्य देशों में कितनी है सामाजिक दूरी: चीन, डेनमार्क, हॉन्कॉन्ग, सिंगापुर और फ्रांस जैसे देशों में 1 मीटर की दूरी रखना अनिवार्य है। साथ ही लोग सार्वजनिक स्थलों पर फेस मास्क का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इनके अलावा, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन, पुर्तगाल और इटली में भी लोग लगभग 1.5 मीटर की सामाजिक दूरी मेंटेन कर रहे हैं। वहीं, स्विट्जरलैंड ने भी 2 मीटर की दूरी को कम कर 1.5 मीटर कर दिया है। जबकि अमेरिका में लोगों को कम से कम 6 फीट यानि 1.8 मीटर की बनाकर रखने का निर्देश है।
क्या है WHO की राय: इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी लोगों को कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखने की सलाह देता है। उनके अनुसार कोई भी संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो इस दौरान इतनी दूरी बनाए रखने से दूसरों में संक्रमण का खतरा कम रहता है। वहीं, अगर आप उस व्यक्ति के पास रहेंगे तो हो सकता है कि आप सांस लेने के दौरान उन संक्रमित ड्रॉपलेट्स को भी इनहेल कर लें। वहीं इसी महीने आई ‘द लैंसेट’ की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि 1 मीटर की फिजिकल डिस्टेंसिंग कोविड-19 के संक्रमण को कम कर सकता है, लेकिन 2 मीटर की दूरी ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।