Sleep Disorder: भागदौड़ भरी जिंदगी और अनहेल्दी खाना के चलते कई प्रकार की परेशानियां आती हैं, जिसमें नींद की समस्या बहुत कॉमन है। दुनिया भर में स्लीप डिसऑर्डर एक ऐसी समस्या है जो तेजी से लोगों की प्रभावित कर रही है। नींद की कमी का सीधा असर दिल और दिमाग पर पड़ता है, जिससे गंभीर और जानलेवा बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए दिन में 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नींद की कमी और फोन पर घंटों बिताने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, जो धीरे-धीरे गंभीर हो जाती हैं।
क्या है स्लीप डिसऑर्डर
दरअसल, स्लीप डिसऑर्डर ऐसी स्थिति को कहते हैं, नींद से जुड़ी समस्याओं को पैदा करती है। सोते समय बार-बार नींद खराब होना या फिर आरामदायक नींद नहीं मिलना। स्लीप डिसऑर्डर के कारण दिन में नींद आना, रात में नींद न आना, दिन में थकान, चिड़चिड़ापन, और हमेशा सुस्ती बने रहने आदि की परेशानियां होती हैं।
- नींद में चलना
- बुरे सपने
- बिस्तर गीला करना
- बेचैन पैर सिंड्रोम
- स्लीप एपनिया
- आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (आरबीडी)
भारत में स्लीप डिसऑर्डर की क्या स्थिति है?
स्लीप डिसऑर्डर की समस्या भारत में बहुत अधिक बढ़ रही है। इस संबंध में साल 2022 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की दिग्गज कंपनी ने स्लीप डिसऑर्डर को लेकर भारत में एक स्टडी की, जिसमें भारत में लगभग 93% भारतीय नींद से वंचित हैं। जिसका सबसे मुख्य कारण बदलता लाइफस्टाइल और आधुनिक गैजेट्स का अधिक उपयोग करना पाया गया, जो अब भी लगातार बढ़ रहा है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सिर्फ लखनऊ जिले में ही नींद विकार से प्रभावित मरीजों की संख्या 40 लाख से ज्यादा हो सकती है।
स्लीप डिसऑर्डर के चलते होने वाली बीमारी
- दिल की बीमारी
- स्ट्रोक का खतरा
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल</li>
- लिवर की समस्या
क्या कहती है रिसर्च
स्विट्जरलैंड में बेसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में नींद की कमी होने पर लिवर को सबसे ज्यादा प्रभावित पाया। जर्नल फ्रंटियर्स इन नेटवर्क फिजियोलॉजी में छपी एक स्टडी के मुताबिक, लिवर की बीमारी (एमएएसएलडी) के रोगियों की नींद में काफी कमी आती है। रिसर्च के अनुसार, एमएएसएलडी के मरीज रात के दौरान 55% ज्यादा जागते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 45 प्रतिशत लोगों में लिवर की गंभीर बीमारियों का संबंध ठीक से न सो पाने के चलते होता है। नींद की आपकी एनर्जी और मूड को प्रभावित करती है।
रिसर्च के मुताबिक, 72 प्रतिशत भारतीय रात को सोने के बाद 1 से 3 बार बीच में उठते हैं यानी रात को सोने के बाद बीच-बीच में अचानक नींद टूटना। इसमें 87 प्रतिशत लोगों की हेल्थ पर नींद की कमी का बुरा असर पड़ता है, जो उनकी दिनचर्या से लेकर काम को भी प्रभावित करती है।
स्लीप डिसऑर्डर का इलाज
स्लीप डिसऑर्डर की समस्या से स्वास्थ्य बहुत प्रभावित होता है। अपने खानपान और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके आप स्लीप डिसऑर्डर की परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही कई अन्य बीमारियों से भी बचाव होगा।
- लाइफस्टाइल में बदलाव करें और हेल्दी डाइट लेना शुरू करें।
- कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी ट्राई करें।
- सुबह सुबह ब्राइट लाइट थेरेपी ले सकते हैं।
- डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाइयां।
इसके अलावा पॉलीसोम्नोग्राफी (पीएसजी), इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) और मल्टीपल स्लीप लेटेंसी टेस्ट (MSLT) भी ऐसे परीक्षण हैं, जिनसे स्लीप डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है।