स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें ब्रेन में ब्लड सप्लाई अचानक रुक जाती है या बाधित हो जाती है। ब्लड सप्लाई बाधित होने की वजह से मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के अभाव में कुछ ही मिनटों में मरने लगती हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। दरअसल, ब्रेन स्ट्रोक को अक्सर साइलेंट इमरजेंसी कहा जाता है, क्योंकि यह बिना चेतावनी के अचानक हो सकता है और इसके परिणाम बेहद गंभीर साबित हो सकते हैं। स्ट्रोक न केवल दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, बल्कि यह स्थायी विकलांगता जैसे लकवा, बोलने में कठिनाई, याददाश्त की समस्या और दृष्टि हानि का भी प्रमुख कारण भी है।
सिर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल, मुंबई, डायरेक्टर न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी, डॉ. विपुल गुप्ता के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक अचानक झटका देता है। इसके लक्षणों की समय रहते पहचान करना और इलाज करवाना जरूरी होता है। ऐसा नहीं किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कितना खतरनाक हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक
एक्सपर्ट के मुताबिक, स्ट्रोक उस स्थिति को कहते हैं, जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है। यह दो प्रकार से हो सकता है। पहला इस्केमिक स्ट्रोक होता है, जिसमें रक्त का थक्का यानी क्लॉट मस्तिष्क तक खून के फ्लो को रोक देता है। दूसरा हेमरेजिक स्ट्रोक होता है, जिसमें मस्तिष्क की रक्त वाहिका फट जाती है और अंदरूनी रक्तस्राव होता है। ऑक्सीजन न मिलने से मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में मरने लगती हैं। यही कारण है कि स्ट्रोक को मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है।
डॉ. विपुल गुप्ता के मुताबिक, स्ट्रोक के दौरान हर एक मिनट का खून का बहाव कम होना मरीज की जान या फिर विकलांगता का कारण बन सकता है। समय पर इलाज ही तय करता है कि मरीज सामान्य जिंदगी जी पाएगा या आजीवन विकलांगता का सामना करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर पहले 3 से 4.5 घंटे में इलाज शुरू हो जाए, तो गंभीर नुकसान से बचा जा सकता है।
इन संकेतों को नहीं करें नजरअंदाज
स्ट्रोक के लक्षण अचानक और तेज होते हैं। समय रहते इन्हें पहचानना बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक, FAST रूल याद रखने से स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान की जा सकती है।
- F – फेस ड्रूपिंग: चेहरे के एक तरफ कमजोरी या सुन्नपन।
- A – आर्म वीकनेस: एक या दोनों हाथ उठाने में परेशानी।
- S – स्पीच डिफिकल्टी: बोली का लड़खड़ाना या समझने में कठिनाई।
- T – टाइम टू एक्ट: तुरंत मेडिकल सहायता लें, क्योंकि ऐसी स्थिति में हर सेकंड कीमती है।
कैसे करें बचाव
डॉ. गुप्ता के मुताबिक, अच्छी खबर यह है कि लगभग 80% स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, बशर्ते हम स्वस्थ आदतें अपनाएं और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाते रहें। ऐसे में कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है। ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण रखें, क्योंकि हाई बीपी स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल पर कंट्रोल करें, धूम्रपान और शराब से बचें, हफ्ते में कम से कम 5 दिन, रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, मेवे खाएं और नमक का सेवन सीमित करें।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।