कैंसर तो एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार किसी को हो जाए तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। आजकल के समय में कैंसर कभी भी किसी को भी हो सकता है। कभी कैंसर को सिर्फ बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता था, लेकिन हाल के शोध इस धारणा को गलत साबित कर रहे हैं। BMJ ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2019 के बीच 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामलों में लगभग 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सिर्फ 2019 में ही 3.2 मिलियन से अधिक युवाओं को कैंसर हुआ।
एक्सपर्ट के मुताबिक, खराब आहार, मोटापा, धूम्रपान, शराब, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, पर्यावरणीय प्रदूषण और आंतों के माइक्रोबायोटा में बदलाव जैसी वजहें इस खतरे को बढ़ा रही हैं। हालांकि, कैंसर के शुरुआती लक्षण शरीर पर जरूर दिखाई देते हैं, लेकिन अक्सर इन्हें आम समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, क्योंकि ज्यादातर स्क्रीनिंग प्रोग्राम 50 वर्ष के बाद शुरू होते हैं, जिससे युवाओं में समय पर पहचान मुश्किल हो जाती है। दरअसल, युवा अक्सर मानते हैं कि कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को होता है, इसलिए वे शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। डॉक्टर भी पहले आम बीमारियों का इलाज करते हैं, जिससे इलाज में देरी होती है। यही वजह है कि कई बार कैंसर का पता तब लगता है जब बीमारी गंभीर रूप ले चुकी होती है।
BMJ ऑन्कोलॉजी के अध्ययन के अनुसार, शुरुआती कैंसर मामलों में 1990 से 2019 के बीच लगभग 80% की वृद्धि दर्ज की गई है। कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, 25–49 वर्ष के युवाओं में कैंसर के मामलों में 1995 से 2019 तक लगभग 24% की बढ़ोतरी हुई। खराब डाइट, प्रोसेस्ड फूड, मोटापा, धूम्रपान, शराब और कम शारीरिक गतिविधि इस बढ़ोतरी के प्रमुख कारण हैं।
पाचन या आंतों में लगातार बदलाव
बार-बार होने वाले कब्ज, दस्त या पेट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर अगर इसके साथ खून या कोई और परेशानी भी हो। 50 साल से कम उम्र के लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर कई देशों में बढ़ रहा है। इसके अलावा आंत्र, पेट और अग्न्याशय के कैंसर सबसे आम हैं।
बिना वजह वजन घटना और थकान
बिना डाइटिंग के वजन कम होना या लगातार थकान रहना पेट, अग्न्याशय या फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, युवा अक्सर इसे अनदेखा कर देते हैं, जिससे समय पर इलाज नहीं हो पाता।
पेट में बेचैनी
लंबे समय तक अपच, पेट फूलना या ऊपरी पेट में दर्द को सिर्फ एसिडिटी न समझें। यह पेट या इसोफेगल यानी भोजन नली कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है। यह लक्षण एसिड रिफ्लक्स जैसे ही दिखाई देते हैं, इसलिए अक्सर इलाज देर से होता है और आगे चलकर समस्या गंभीर हो सकती है। ऐसे में लगातार जागरूकता ही सबसे जरूरी है।
पेशाब या मल में खून आना
पेशाब या मल में खून आना, असामान्य योनि रक्तस्राव या खांसी में खून आना गंभीर चेतावनी है। ये लक्षण बाउल, ब्लैडर या फेफड़ों के कैंसर से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, ये हमेशा कैंसर नहीं होते, लेकिन ये युवा वयस्कों में आंत्र, मूत्राशय या फेफड़ों के कैंसर के सामान्य शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
त्वचा में बदलाव
नई तिल का बनना या पुराने तिल का रंग, आकार या आकार बदलना मेलानोमा यानी स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। युवा वर्ग में भी स्किन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।
