इंसान की मौत एक ऐसा रहस्य है, जिससे जुड़े कई सवाल अक्सर लोगों के मन में घर करते रहते हैं। मौत से पहले क्या होता है? मरने के दौरान किसी शख्स को किस तरह का अहसास होता है, ऐसे ना जानें कितने ही सवाल हैं, जिनमें लोगों की खास दिलचस्पी होती है। इसी कड़ी में इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अबतक कई शोध भी किए जा चुके हैं, जिनके नतीजों से वैज्ञानिकों ने काफी हद तक ये समझ लिया है कि इंसानी दिमाग आखिरी वक्त में क्या-क्या सोचता रहता है या मरने से पहले किसी को कैसा महसूस होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

द मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों ने दावा किया है कि मरने की प्रक्रिया आमतौर पर दिल की धड़कन बंद होने से लगभग दो हफ्ते पहले शुरू हो जाती है। वहीं, अंतिम समय के बेहद करीब आने पर अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं, तो कुछ बात हर इंसान के साथ सामान्य भी रहती हैं। जैसे अगर किसी व्‍यक्ति की मौत होने वाली है, तो वह आंखों को ज्‍यादा समय के लिए बंद करने लगता है या कई बार उनकी आंखें आधी खुली रहती हैं और चेहरे की मांसपेशियां एकदम रिलेक्स नजर आती हैं।

ऐसी होती है मौत से पहले की स्थिति!

रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 4 लोगों पर किए गए शोध के बाद विशेषज्ञों का दावा है कि मौत के निकट पहुंच चुके शख्स को कई बार अपने मरे हुए रिश्तेदार दिखने लगते हैं या उन्हें ज्यादातर अपने परिवार का ख्याल आता है। ये गतिविधियां दिमाग के उस हिस्से में दर्ज की गईं, जो सपने देखने, मिर्गी के दौरान होश खोने या चेतना में बदलाव वाले स्टेज से जुड़ा होता है।

मिरर के मुताबिक, इन 4 लोगों की मौत कार्डिएक अरेस्ट के चलते हुई थी। इससे पहले ही इन लोगों के ठीक होने की उम्मीद पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी, ऐसे में उन्हें परिवार की सहमति के बाद वेंलिलेटर से हटा दिया गया था और उनके दिमाग में चल रही इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम यानी ईईजी से नापा जा रहा था।

सफेद रोशनी के साथ सुनाई देती हैं अजीब आवाजें

इस दौरान देखा गया कि इन चारों लोगों का हार्ट रेट अचानक से बढ़ने लगा था और गामा एक्टिविटी भी बढ़ गई थी। नोटिस किया गया कि मौत से ठीक पहले दिमाग इस तरह से काम करता है जैसे किसी शख्स को साफ और तेज सफेद रोशनी दिख रही हो। इस दौरान कानों में कुछ अजीब और अस्पष्ट आवाजें भी सुनाई देने लगती हैं। हालांकि, क्योंकि ये स्टडी बेहद कम लोगों पर की गई थी, इसलिए इसे ग्लोबल स्तर पर प्रसारित नहीं किया गया। इससे अलग स्टडी के नतीजों को जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश किया गया है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।