कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका समय पर पता नहीं चला तो ये जानलेवा साबित होती है। एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर को भी स्टेज जीरो लंग कैंसर हुआ था, लेकिन समय रहते उन्हें कैंसर का पता चला और उन्होंने बिना कीमोथेरेपी के कैंसर से जंग लड़ी। बता दें कि शर्मिला टैगोर अपने समय की शानदार एक्ट्रेस रह चुकी हैं, उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं। एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर की बेटी सोहा अली खान ने बीते दिनों इस बात का खुलासा किया कि उनकी मां शर्मिला टैगोर को स्टेज जीरो लंग कैंसर का पता चला था और बिना किसी कीमोथेरेपी के कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर दिया गया और अब वह पूरी तरह से ठीक हैं। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है जीरो लंग कैंसर और कैसे जीरो लंग कैंसर का इलाज होता है।

दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. सज्जन राजपुरोहित ने बताया कि जीरो लंग कैंसर का मतलब है कि कैंसर फेफड़ों की परत तक ही सीमित है और सुरक्षात्मक अवरोध को नहीं तोड़ पाया है, जिसे हम बेसल झिल्ली कहते हैं। ये विभिन्न कोशिका और टिश्यू प्रकारों को अलग करती है। ऐसी स्थिति में कैंसर खतरनाक नहीं होता और इससे ठीक होने की संभावना भी अधिक हो जाती है।

स्टेज जीरो फेफड़े का कैंसर क्या है?

अमेरिका के नेशनल कैंसर संस्थान के मुताबिक, यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कुछ असामान्य दिखने वाले सेल्स यानी कोशिका बनते हैं जो देखने में कैंसर टिश्यू की तरह होते हैं, लेकिन ये केवल एक ही स्थान पर होती हैं, जहां से ये शुरू हुई थीं। इस तरह की कोशिका के शरीर के हिस्सों में नहीं फैली होती है, लेकिन समय पर इसका ध्यान नहीं दिया गया तो ये बढ़ते समय के साथ कैंसर का कारण बन सकती हैं और बाद में शरीर में फैल सकती हैं। ऐसी स्थिति को स्टेज जीरो कैंसर कहते हैं। ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हो सकती है।

स्टेज जीरो कैंसर के लिए टेस्ट

आमतौर पर स्टेज जीरो कैंसर के लक्षण को सामान्य रूप से नहीं देखा या समझा जा सकता है। हालांकि, कई व्यक्तियों को खांसी, सांस की तकलीफ या सीने में दर्द का अनुभव नहीं हो सकता है जो आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर के बाद के चरणों में होता है। इसके अलावा कुछ मेडिकल टेस्ट के माध्यम से स्टेज जीरो कैंसर का पता लगाया जा सकता है। स्टेज जीरो कैंसर का पता चलने पर इसका इलाज भी तुरंत कराना चाहिए, जिससे कैंसर का इलाज जल्दी शुरू होता है और इसके ठीक होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है।

ब्रोंकोस्कोपी

ब्रोंकोस्कोपी उन मामलों में की जाती है, जहां आगे की जांच की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में फेफड़ों की सीधे जांच करने और बायोप्सी के लिए ऊतक के नमूने एकत्र करने के लिए वायु मार्ग में एक लचीली ट्यूब डाली जाती है।

बायोप्सी

असामान्य कोशिकाओं के कैंसर होने की पुष्टि करने के लिए ऊतक का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है। स्टेज 0 फेफड़ों के कैंसर का सटीक निदान करने और उचित उपचार की योजना बनाने के लिए यह परीक्षण महत्वपूर्ण है।

स्टेज 0 कैंसर का इलाज

स्टेज 0 कैंसर का इलाज आमतौर पर सर्जरी, विकिरण चिकित्सा या दोनों के संयोजन से किया जाता है। स्टेज 0 कैंसर की स्थिति में कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ती। कीमोथेरेपी की आवश्यकता कैंसर की गंभीर स्थिति में पड़ती है।

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