गर्मी के मौसम में बरसात की फुहारों से कुछ राहत मिलती है लेकिन इसकी वजह से लोगों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में बैक्टीरिया फेलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इससे खाने-पीने की चीजें दूषित होती हैं और कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें मलेरिया और पेचिश की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है। कुछ सावधानियां अपनाकर बरसात की बीमरियों से बचा जा सकता है। आइए आज हम आपको मलेरिया और पेचिश के लक्षण और बचाव के तरीके के बारे में बताते हैं।

पेचिश: यह आंतों में होने वाला संक्रमण है जिसकी वजह से खूनी दस्त भी हो सकते हैं। पेचिश को अंग्रेजी में Dysentery कहा जाता है। आमतौर पर 3 से 7 दिनों तक रहता है। इस बीमारी में मल के साथ खून या बलगम आ सकता है।

पेचिश के लक्षण: मतली, पतला मल, वजन घटना, पेट का दर्द और रुक-रुक कर आने वाला बुखार पेचिश के लक्षण हो सकते हैं।

बचाव के तरीके

– नल का पानी पीने से बचें।
– पेचिश के दौरान केवल छिले हुए फल खाएं।
– पेचिश होने पर आधे कप अनार के रस में चार चम्मच पपीते का रस मिलाकर पिएं।
– चार-पांच कालीमिर्च मुख में रखकर चूसें| थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पी लें।
– पेचिश रोग में नीबू की शिकंजी या दही के साथ जरा-सी मेथी का चूर्ण बहुत लाभदयक है।

मलेरिया: यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। इसके काटने से लाल रक्त कोशिकाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मलेरिया उन रोगों में से है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। मच्छरों के काटने पर 7 से 8 दिन बाद मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

मलेरिया के लक्षण: सिर में तेज दर्द होना, उल्टी जोड़ों में दर्द, कमजोरी या थकान महसून करना, आंखों की पुतलियों का रंग पीला होना और ठंड के साथ कंपकंपी होना मलेरिया रोग के लक्षण हो सकते हैं।

बचाव के तरीके
– बच्चे को पूरे कपड़े पहनाएं।
– मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
– मलेरिया बुखार के गंभीर होने पर भी संतरे के जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन लगातार करते रहें।
– शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें।
– मलेरिया ज्वर में अमरूद खाने से रोगी को लाभ होता है।