हमारे देश में अधिकतर खाने की चीजों में तेल का इस्तेमाल किया जाता है, फिर चाहे वो सरसों का तेल हो, जैतून का तेल हो, कोकोनट ऑयल, घी, बटर, रिफाइंड तेल हो आदि। वहीं, किसी विशेष दिन या त्योहार के मौके पर खासतौर पर तेल से बनी कई चीजें जैसे पूरी-कचौड़ी, पकौड़े आदि तैयार की जाती हैं। इन चीजों को बनाने में अधिक मात्रा में तेल पकाया जाता है। ऐसे में कई बार पूरी-कचौड़ी बनाने के बाद बचे हुए तेल को लोग सब्जी बनाने या कई और चीजों में इस्तेमाल कर लेते हैं। अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो बात दे कि ये सीधे तौर पर अपनी सेहत को नुकसान पहुंचाने जैसा है। बचे हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल करने से आपको डायबिटीज और कैंसर जैसी कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

क्यों है खतरनाक?

FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) की गाइडलाइलंस के अनुसार, खाना पकाने के तेल को दोबारा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। तेल को एक बार इस्तेमाल करने के बाद बार-बार गर्म करने पर इसमें ट्रांस-फैटी एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है, ये सेहत को कई गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। आसान भाषा में समझें तो-

  • कुकिंग ऑयल में तीन तरह के फैटी एसिड पाए जाते हैं।
  • पहला शॉर्ट चेन फैटी एसिड, दूसरा मीडियम चेन फैटी एसिड और तीसरा लॉन्ग चेन फैटी एसिड।
  • हालांकि, इन तीनों में से भी खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल में शॉर्ट चेन फैटी एसिड की मात्रा ज्यादा होती है।
  • अब, जब इस तेल को एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा गर्म किया जाता है, तब ये शॉर्ट चेन फैटी एसिड टूटने लगता है।
  • बॉन्ड टूटने पर इसकी जगह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन लेने लगती है, जिसकी वजह से इसमें ऑक्साइड बनना शुरू हो जाता है।
  • ये ऑक्साइड हमारी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है।

कैसे पहुंचाती है नुकसान?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑक्साइड के चलते कोशिकाओं में फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं जो उनमें सूजन या इंफ्लामेशन को बढ़ा देते हैं। वहीं, सेल्स में इंफ्लामेशन कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मोटापा जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

किस तरह का तेल है अधिक खतरनाक?

बता दें कि मूंगफली का तेल, कोकोनट ऑयल, घी, बटर, रिफाइंड तेल आदि में शॉर्ट चेन फैटी एसिड पाया जाता है, ऐसे में इन्हें बार-बार गर्म कर इस्तेमाल करना अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। वहीं, इनके मुकाबले सरसों का तेल या राइस ब्रान के तेल को कम हानिकारक बताया गया है। इन दोनों तेल में मोनोसैचुरेटेड फैट पाया जाता है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।