पैरों में दर्द होना एक आम समस्या है, जो अक्सर ज्यादा देर तक चलने-फिरने, दौड़ने, लंबे समय तक खड़े रहने या हील्स वाले जूते-चप्पल पहनने से हो सकती है। कभी-कभी होने वाला यह दर्द सामान्य होता है जिससे राहत मालिश या दर्द दूर करने वाले तेल से आसानी से मिल जाती है। लेकिन अगर पैरों का दर्द, सूजन या झनझनाहट लगातार बनी रहती है, तो यह रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless Leg Syndrome) के लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को रात में सोते समय पैरों में बेचैनी, दर्द, झनझनाहट और खिंचाव महसूस होता है। कई बार ऐसा लगता है कि जब तक पैर हिलाए या पटके नहीं जाएंगे तब तक राहत नहीं मिलेगी। इस समस्या से पीड़ित लोग अक्सर नींद में बार-बार पैर हिलाते या पैर पटकते हैं ताकि दर्द से कुछ आराम मिल सके।
ग्वालियर में होम्योपैथिक डॉक्टर डॉ. लोकेंद्र गौड़ के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है। हालांकि यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह नींद की गुणवत्ता और रोजमर्रा की जिंदगी दोनों को प्रभावित कर सकती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का मुख्य कारण क्या है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का मुख्य कारण
शरीर में कैल्शियम, आयरन और विटामिन D3 की कमी होना। मांसपेशियों की कमजोरी और थकान। लंबे समय तक बैठने या एक ही जगह टिके रहने की आदत। तनाव या नींद की कमी की वजह से भी पैरों में दर्द,सुन्नपन, झनझनाहट और सूजन हो सकती है।
दर्द से निजात के लिए पैरों की मालिश करें
रात में सोने से पहले पैरों की हल्की मालिश करने से रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षणों में काफी राहत मिलती है। सरसों या नारियल तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की जकड़न और खिंचाव कम होता है तथा रक्त संचार बेहतर होता है। इससे पैरों को गर्माहट मिलती है और नींद आने में भी आसानी होती है। रोजाना 10 मिनट की मालिश से पैरों की थकान दूर होती है और बेचैनी में सुधार आता है।
गुनगुने पानी से सेंक करें
गुनगुने पानी से सेंक रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में बहुत असरदार घरेलू उपाय है। सोने से पहले पैरों को 10-15 मिनट तक हल्के गर्म पानी में डुबोकर रखें। इससे मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है और पैरों की थकान दूर होती है। यदि चाहें तो पानी में थोड़ा सा नमक डालकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह उपाय न केवल दर्द घटाता है बल्कि नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है और पैरों में आराम महसूस होता है।
आयरन और विटामिन D से भरपूर फूड्स खाएं
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में शरीर में आयरन और विटामिन D की कमी एक प्रमुख कारण होती है। ऐसे में भोजन में पालक, चुकंदर, अंडा, दूध, केले, गुड़ और हरी सब्जियां शामिल करें। रोज कुछ देर धूप में रहने से विटामिन D की पूर्ति होती है। ये पोषक तत्व मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और नसों के कार्य को सामान्य रखते हैं, जिससे पैरों की बेचैनी और खिंचाव धीरे-धीरे कम होने लगता है।
हल्की एक्सरसाइज करें
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से राहत पाने के लिए हल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद है। सुबह या शाम 20–30 मिनट टहलना, योगासन या पैर स्ट्रेच करना मांसपेशियों को सक्रिय रखता है और रक्त प्रवाह बेहतर बनाता है। लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहना या निष्क्रिय रहना इस समस्या को बढ़ा सकता है। नियमित व्यायाम से शरीर लचीला रहता है और रात में पैरों की बेचैनी काफी हद तक घट जाती है।
तनाव कम करें
तनाव रेस्टलेस लेग सिंड्रोम को और बढ़ा सकता है। इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना जरूरी है। रोजाना कुछ मिनट ध्यान (मेडिटेशन), गहरी सांसों के अभ्यास या योग का अभ्यास करें। इससे दिमाग को शांति मिलती है और नर्वस सिस्टम रिलैक्स होता है। पर्याप्त नींद और सकारात्मक सोच से भी राहत मिलती है। तनाव मुक्त रहने से शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है, जिससे पैरों की बेचैनी और दर्द धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
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